मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी का भाषण और विवाद अन्‍योनाश्रित हो गए हैं। वह भाषण देकर मंच से उतरते हैं और भाषण में विवाद की तलाश शुरू हो जाती है। चाहे या अनचाहे कुछ भी बोलें, मीडिया वाले विवाद की जड़ तलाश ही लेते हैं। लेकिन आज पटना पुस्‍तक मेला के उद्घाटन के मौके पर करीब 20 मिनट के भाषण में ऐसी कोई बात मुख्‍यमंत्री ने नहीं कही, जिससे विवाद की संभावना पैदा हो। वैसे बहस इस बात पर जरूर हो सकती है कि एक दिन पहले एसके मेमोरियल हॉल में मुख्‍यमंत्री के साथ कोई मंत्री मंच पर नहीं आए थे, जबकि आज शिक्षा मंत्री वृषण पटेल और खाद्य आपूर्ति मंत्री श्‍याम रजक जरूर मौजूद थे।book fair

बिहार ब्‍यूरो प्रमुख

 

मुख्‍यमंत्री ने पुस्‍तक प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार हर राजस्‍व गांव में एक पुस्‍तकालय खोलना चाहती है, ताकि पुस्‍तक आम लोगों तक पहुंच सके। उन्‍होंने आश्‍वासन भी दिया कि वह केंद्र सरकार को प्रस्‍ताव देंगे कि पटना पुस्‍तक मेला को राष्‍ट्रीय पुस्‍तक मेला का दर्जा दिया जाए। सीएम ने आयोजकों से यह आग्रह भी किया कि वह आम लोगों तक पुस्‍तक पहुंचाने की पहल भी करें। कार्यक्रम का संचालन मेला के संयोजक रत्‍नेश्‍वर सिंह ने किया।

 

पुरस्‍कारों की घोषणा

कार्यक्रम में मेला के अवसर पर दिए जाने वाले चार पुरस्‍कारों के लिए चयनित प्रतिभागियों के नामें की भी घोषणा की गयी। यह पुरस्‍कार 18 नंवबर को वितरित किया। पुरस्‍कार स्‍वरूप सात-सात हजार रुपये दिए जाएंगे। रत्‍नेश्‍वर सिंह ने पुरस्‍कारों की घोषणा करते हुए कि रंगकर्म के क्षेत्र में भिखारी ठाकुर पुरस्‍कार नीलेश दीपक झा को दिया जाएगा, जबकि विद्यापति साहित्‍य पुरस्‍कार मीनाक्षी मीनल को प्रदान किया जाएगा। पत्रकारिता के क्षेत्र में सुरेंद्र प्रताप सिंह पत्रकारिता पुरस्‍कार सुशांत झा को दिया जाएगा, जबकि यक्षिणी कला पुरस्‍कार राकेश कुमार को दिया जाएगा। इन पुरसकारों के लिए प्रतिभागियों का चयन अलग-अगल क्षेत्र के लिए गठित चयन समिति ने किया है।

 

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