अपने तमाम राजनीतिक विरोध को दरकिनार कर नीतीश और तेजस्वी एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर साथ हो गए हैं और मोदी सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना देश में होनी चाहिए। इससे एससी एसटी के अलावा भी अन्य कमजोर वर्ग है, उनकी वास्तविक संख्या की जानकारी होगी और सभी के विकास के कार्यक्रम बनाने में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बार फिर आग्रह करेंगे कि जातिगत जनगणना कराई जाए।

उधर तेजस्वी यादव पहले ही जातीय जनगणना पर भाजपा सरकार पर प्रहार कर चुके हैं। तेजस्वी ने कहा था कि मोदी सरकार को पिछड़ी जातियों से इतनी नफरत क्यों है।

सीएम नीतीश ने ट्वीट कर लिखा है कि हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 एवं पुनः 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी राज्य में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया है। तेजस्वी यादव ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साघते हुए कहा कि बीजेपी को पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है। तेजस्वी का कहना है कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या पता नहीं चलेगी तब तक उनके फायदे की योजनाएं कैसे बनेगी। तेजस्वी ने कहा कि बिहार के दोनों सदनों में बीजेपी जातीय जनगणना का समर्थन करती है लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान कराती है। केंद्र सरकार ओबीसी की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती।

गौरतलब हक़ी की 1931 के बाद से देश में जातीय जनगणना नकहिं कराई गई।

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