भगलपुर के 1989 में हुए भीषण दंगे में उम्र कैद की सजा काट रहे कामेश्वर यादव को हाई कोर्ट ने 9 साल के बाद बरी कर दिया है. शीलापूजन के दौरान हुए इस दंगा में एक हजार से अधिक लोग मारे गये थे.

 

न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह ने सुनवाई के बाद 49 पन्ने का आदेश पारित किया। जिसमें मामले की तहकीकात और गवाह व केस के सूचक की गवाही सही तरीके से नहीं कराने समेत सात बिंदुओं पर गौर करते हुए कामेश्वर यादव को रिहा करने का आदेश दिया. जबकि इससे पहले निचली अदालत ने कामेश्वर को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. बाद में कामेश्वर ने हाईकोर्ट में अपील की जिसमें दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले में अलग अलग राय दी थी. एक जज ने इसकी अपील को खारिज कर दिया था तो दूसरे ने सुनवाई स्वीकार कर ली थी. इसके बाद चीफ जस्टिस ने तीसरे जज को मामला सौंपा था.

 

सेशन कोर्ट ने 6 नंवबर 2009 को कामेश्वर को दोषी ठहराया और 9 नवंबर 2009 को उम्र कैद समेत आर्थिक जुर्माना की सजा तय की। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ कामेश्वर ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की।  कई बहस और सुनवाई के बाद आख़िरकार कामेश्वर यादव के बरी होने का आदेश पटना उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने गुरुवार को पारित किया। इन्हीं के आदेश पर सोमवार (3 जुलाई) शाम वह जेल से रिहा होकर करीब 9 साल बाद बाहर आया।

जेल से बाहर आने के बाद कामेश्वर यादव ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी है. गौरतलब है कि कामेश्वर यादव पर भागलपुर  दंगे क मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा था.

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