रोड रेज की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में आदित्य सचदेवा नाम के युवक की गया में गोली मारकर हत्या कर दी गई | इस दुखद घटना से मुझे बहुत आघात पहुंचा | किसी भी युवा के प्राण इस तरह बेवजह नकारात्मक कारणों से जाना दुर्भाग्यपूर्ण है | इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए वो कम है | मेरी सम्वेदनाएँ मृतक के परिवार के साथ है | आरोपित युवक को ऐसे जघन्य हत्या के लिए कतई बख्शा नहीं जाना चाहिए | मैं कड़े से कड़े शब्दों में इस घटना की निंदा करता हूँ | परन्तु इसे भाजपा के नेताओं द्वारा और भाजपा समर्थित मीडिया के एक पूर्वाग्रह से ग्रस्त  वर्ग द्वारा इस तरह प्रचारित किया जा रहा है जैसे यह पूरे देश में अपने आप में एक दुर्लभ और पहली आपराधिक रोड रेज की घटना है | किसी अभियुक्त का कोई सम्बन्धी अगर किसी सत्तासीन राजनैतिक दल का सदस्य है, इसका यह अर्थ नहीं निकल जाता कि उस अभियुक्त को सरकारी संरक्षण प्राप्त है | वैसे भी सबसे ज्यादा अपराधियों को टिकट और राजनैतिक शह NDA के दलों द्वारा ही दिया गया है |tejaswi

 

मध्य प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी की बालू माफिया द्वारा सरे आम निर्दयता से हत्या कर दी जाती है या व्यापम घोटाले में सरकार के संरक्षण में एक एक कर सारे गवाहों को रास्ते से हटा दिया जाता है तो वहाँ जंगलराज़ का आगाज़ नहीं होता है | झारखण्ड में जेएमएम नेता की हत्या कर दी जाती है तो NDA के नेता दूसरी ओर देखने लगते हैं क्योंकि उससे तो कानून व्यवस्था लचर नज़र नहीं आती है! झारखण्ड में ही एक इंजिनियर की हत्या कर दी गई पर तब ना तो भाजपा के नेताओं का तब सोया हुआ ज़मीर जगा और ना भाजपा समर्थित मीडिया को जंगलराज का जुमला याद आया | गुजरात में पटेल आन्दोलन में जान माल का भारी नुक्सान हुआ पर तब भाजपा को कानून व्यवस्था लचर होने का आभास नहीं हुआ | हरियाणा में तो मानवता को तार तार करने वाली घटनाएँ हुईं, बेवजह आम जनता को मारा पीटा गया, घरों को आग लगा दिया गया, हत्याएँ हुईं, आज़ाद भारत के इतिहास में अबतक के सबसे क्रूरतम सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ हुईं | पर क्या किसी को सज़ा हुई ? भाजपा के नेता धरना पर बैठे? हरियाणा-बंद का आह्वान हुआ? देश की राजधानी जो बलात्कार और हत्याओं के मामले में भी देश की राजधानी है, वहाँ रोड रेज और बलात्कार की

 

सनसनीखेज वारदातें तो NDA के नेताओं को सामान्य और स्वाभाविक नज़र आती हैं क्योंकि वहाँ की पुलिस तो केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करती हैं | हाल ही दिल्ली में जब छोटे से विवाद पर एक दंत चिकित्सक डॉ नारंग की पीट पीट कर हत्या कर दी गई तब तो राष्ट्रपति को ज्ञापन देने की जरूरत किसी भाजपाई नेता को महसूस नहीं हुई? तब तो NDA समर्थित कोई जुलुस इसका विरोध करने सडकों पर नहीं उतरा ? तब तो पूर्वाग्रह ग्रसित मीडिया को पूरी सरकार को लताड़ने का कोई कारण नजर ही नहीं आया ! इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का एक बड़ा वर्ग जो पत्रकारिता के सारे सिद्धांत भूलकर एक विचारधारा और दल विशेष की सुर में सुर मिलाता नज़र आ रहा है, वह स्मरण रखे कि उनके पत्रकारिता धर्म के तिलांजली देने के कारण पूरा पत्रकार वर्ग ही अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है | सनसनी फैलाना, बढ़ा चढ़ा कर पेश करना, एकतरफा रिपोर्टिंग करना और कुछ खास घटनाओं पर चुप्पी साध लेना, माफ़ कीजिएगा, पत्रकारिता का धर्म इससे जल्द ही एक पेशा नजर आने लगेगा |

 

खाली बर्तन ज्यादा आवाज़ करता है और खाली दिमाग शैतान का घर होता है | बिहार के NDA के नेताओं का आचरण इन्हीं कहावतों की याद दिलाती हैं | उनमें इतनी भी समझ नहीं कि रोड रेज जैसी घटना विकृत मानसिकता की देन है। रोड रेज जैसी आवेश में होने वाली नकारात्मक वारदात को रोकना थोडा मुश्किल है| हाँ, इसपर तुरंत कार्रवाई और गिरफ़्तारी करके सरकार अपराधियों का मनोबल तोड़ सकती है और जनता में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास जगा सकती है | गया के घटना में भी पुलिस ने अपनी अप्रत्याशित कार्रवाई से यही कर दिखाया और NDA नेताओं के एक युवा की मृत्यु पर दुर्भाग्यपूर्ण रूप से अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के मंसूबे पर पानी फेर दिया | ये शिथिल नेता स्वीकार कर लें कि बिहार की जनता ने ना सिर्फ़ उन्हें पर उनके सर्वे सर्वा नरेंद्र दामोदरदास मोदी को भी नकार दिया है | दिल्ली की तुगलकी सल्तनत में यह हिम्मत नहीं कि बिहार की लोकप्रिय सरकार की ओर आँख उठा कर देख भी ले|

 

बिहार की जनता देख रही है कि चुनाव में नकारे जा चुके लोग किस प्रकार मीडिया के एक पूर्वाग्रही समूह के साथ मिलकर एक समर्पित और विकास के लिए प्रेरित लोकप्रिय सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं | हमारे समर्थक प्राइम टाइम पर चैनलों को SMS भेज अपनी इच्छा जाहिर नहीं करते, फेसबुक ट्विटर पर अपनी बात कृत्रिम रूप से TREND नहीं करते, बेबाकी से धारा प्रवाह अंग्रेजी में अपनी बात नहीं रखते पर समझते सब हैं | और वो जो जवाब देते हैं वो EVM पर बीप से शुरू होकर अगले पांच साल तक विरोधियों के कान में कर्कश डंका बनकर अगले पांच साल तक बजता रहता है, बजता रहेगा | यहाँ कानून का राज है और रहेगा।

By Editor