पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी भाजपा में शामिल होंगे। उनके साथ जदयू के अधिकतर ‘दागी और बागी’ विधायक भी कमल का दामन थामेंगे। मांझी स्‍वयं विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा उनके लिए विधान सभा चुनाव के बाद ‘जगह’ तलाशेगी।download (5)

वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख

भाजपा सूत्रों से प्राप्‍त जानाकारी के अनुसार, जीतनराम मांझी के नेतृत्‍व वाले हिंदुस्‍तानी आवाम मोर्चा का भाजपा में विलय होना तय हो गया है। मोर्चा का अभी तक पार्टी के रूप में पंजीयन नहीं हुआ है। इस कारण विलय में कोई तकनीकी पेंच भी नहीं है। मोर्चा से जुड़े विधायकों को भाजपा से कोई परहेज नहीं है। यह माना जा रहा है कि नीतीश के खिलाफ बगावत करने वाले जदयू विधायकों को भाजपा में पहले से ‘पनाह’ मिलने का भरोसा था, इसलिए नीतीश को चुनौती देने का साहस भी जुटा रहे थे।

घर वापसी पर नीतीश नरम 

विधान परिषद के तीन सदस्‍य (जो मांझी सरकार में मंत्री भी थे) महाचंद्र प्रसाद सिंह, भीम सिंह और सम्राट चौधरी घर वापसी के रास्‍ते तलाश रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार ने ‘घर वापसी’ करने वाले तीनों पार्षदों के प्रति नरमी बरतने के संकेत दे दिए हैं, जबकि मांझी सरकार में मंत्री रहे विधान पार्षद नरेंद्र सिंह के खिलाफ भी जदयू अभी कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं है।

उधर, मांझी के साथ खड़े जदयू विधायकों को भाजपा भी स्‍वीकार करने को तैयार है। दो-एक नामों पर पार्टी में मतभेद है, लेकिन उस पर सहमति की गुंजाईश बरकरार है। माना यह भी जा रहा है कि जदयू के बागी विधायकों के भाजपा में चले जाने के भय से ही मांझी ने भाजपा में विलय की संभावना की तलाश शुरू की थी और बात पटरी पर आ गयी है। अब विलय की तिथि को लेकर विमर्श जारी है।

मांझी ने पहले ही एनडीए के साथ होकर भाजपा के साथ सहयोग व गठजोड़ की संभावना पैदा कर दी थी, उसे अब विलय में तब्‍दील करना शेष रह गया है। संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के मौके पर मांझी का हम का भाजपा में विलय हो सकता है।

By Editor

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