भारतीय सेना ने खर्च में कटौती के मकसद से नान कम्बेट सेक्शन में कर्मियों की कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है.
सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने इस के लिए अध्ययन करने के निर्देश दिये हैं. उनसे पहले डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर भी आर्मी का साइज घटाने की बात कह चुके हैं।
 हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मी चीफ सुहाग ने एक सीनियर मोस्ट जनरल को अगस्त  तक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है.
 इसमें कहा गया है कि आर्मी में कॉम्बेट और नॉन कॉम्बेट जवानों का का अनुपात सही होना चाहिए।  स्टडी में सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर रहेगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके भी उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बेट फोर्स के लिए कैसे किया जा सकता है।  इसके अलावा मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम की भी जांच की जाएगी। हथियारों की जांच और सिविलियन वर्कफोर्स को कम करने का चैप्टर भी इस स्टडी का अहम हिस्सा होगा।
क्यों लिया फैसला
 आर्मी स्टाफ कम करने की कवायद का मकसद खर्च कम करके काबिलियत बढ़ाना है। माना जा रहा है कि इस बारे में रोडमैप तीन महीनों में तैयार कर लिया जाएगा।

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