प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलनों की यादें प्रेरणा का स्रोत हैं और मौजूदा पीढ़ी की यह जिम्मेदारी है कि वह इस तरह के आंदोलनों की विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाए. अगर 1942 में ‘करो या मरो’ का आह्वान किया गया तो आज का नारा ‘करेंगे और करके रहेंगे’ होना चाहिए. इससे पहले बुधवार 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं जयंती पर संसद में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.

नौकरशाही डेस्‍क

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत में महात्मा गांधी जैसे कई वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, लेकिन नई पीढ़ी के नेताओं ने इससे उभरे खालीपन को भरा और आंदोलन को आगे बढ़ाया. स्वतंत्रता संग्राम कई चरणों से होकर गुजरा और 1857 के बाद से विभिन्न बिंदुओं पर विभिन्न नेता तथा आंदोलन सामने आए. 1942 में शुरू हुआ भारत छोड़ो आंदोलन निर्णायक आंदोलन था. महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के आह्वान पर सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल हो गए.

पीएम कहा कि राजनेता से आम आदमी तक हर कोई इस भावना से प्रभावित था. जब समूचे देश ने इस संकल्प को साझा कर लिया तो देश को पांच साल में ही आजादी का उद्देश्य हासिल हो गया. उन्‍होंने कहा कि भारत को अब भ्रष्टाचार, गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण जैसी चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है. इसके लिए एक सकारात्मक परिवर्तन और एक जन संकल्प जरूरी है. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका का भी उल्लेख किया और कहा कि आज भी महिलाओं से हमारे साझा उद्देश्यों को बड़ी ताकत मिल सकती है.

अधिकारों एवं कर्तव्यों पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे हम अपने अधिकारों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, वैसे ही हम अपने कर्तव्यों को भी नहीं भूल सकते और ये भी हमारी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए. भारत में उपनिवेशवाद शुरू हुआ और देश की आजादी के साथ ही इसके पतन की भी शुरुआत हुई, जिसका जल्द ही एशिया और अफ्रीका में भी अनुसरण किया गया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1942 में अन्‍तर्राष्‍ट्रीय परिस्थितियां भारत की स्वतंत्रता के अनुकूल थीं. आज फिर वैश्विक माहौल भारत के पक्ष में है. 1857 से 1942 के बीच देश आजादी की ओर बढ़ा था, लेकिन 1942 से 1947 का समय परिवर्तनशील और उद्देश्य हासिल करने वाला रहा. पीएम ने संसद सदस्यों से अनुरोध किया कि वे मतभेदों से ऊपर उठें और अगले पांच वर्षों यानी 2017 से 2022 तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के साझा प्रयास में शामिल हों. भ्रष्टाचार पर काबू पाने के निम्नलिखित संकल्पों के साथ प्रधानमंत्री ने अपनी बात पूरी की.

 

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