न्यूयार्क से हमारी सलाहकार सम्पादक ममता कश्यप अपनी रिपोर्ट में बता रही हैं कि भारत में दलित विरोधी हिंसा के खिलाफ वहां आवाज उठने लगी है. महाराष्ट्र में तीन दलितों की हत्या के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर प्रदर्शन हुआ है.

भारत में दलित हिंसा के खिलाफ अमेरिका में उठी आवाज
भारत में दलित हिंसा के खिलाफ अमेरिका में उठी आवाज

 

महाराष्ट्र के अहमदनगर में तीन दलितों की हत्या और बिहार में एक दलित को जिंदा जलाने के विरोध की गूंज अमेरिका तक पहुंच गयी है. पिछले दिनों राष्ट्र संघ मुख्यालय के सामने दलितों के अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया.

कड़ाके की ठंड में भी उतरे सड़क पर 

इस प्रदर्शन में अमेरिका के विभिन्न प्रान्तों से लोगों ने आकर अपना विरोध दर्ज कराया. ज्ञात रहे की भारत के विभिन्न प्रदेशों में दलितों के साथ हिंसा की घटनाओ में विगत कुछ महीनो में अचानक तेजी आ गयी है. जिसमे अहमदनगर, महाराष्ट्र के एक ही परिवार के 3 सदस्यों की बरब तरीके से हत्या कर उनके शारीर के टुकडे कर क्षत-विक्षत अवस्था में फेंक दिया गया ता. इसके अलावा बिहार में 15 वर्ष के एक दलित लड़के की दिन-दहाड़े जलाकर हत्या  कर दी गयी थी.

विरोध-प्रदर्शन में कड़ाके के ठंठ के बावजूद काफी संख्या में लोग इक्कठा हुए, इन सब में छोटे छोटे बच्चे ने भी अपनी भागदारी दिखाई.

प्रदर्शन का आयोजन आंबेडकर इंटरनेशनल मिशन (AIM)  के द्वारा किया गया. और इसमे करीब दस अन्य मानवधिकार संस्थाओं ने भाग लिया. जिसमे समता फाउंडेशन (नेपाल), साउथ एशियन सॉलिडेरिटी इनिशिएटिव, फ्रेंड्स ऑफ़ एजुकेशन, इंटरनेशनल कमीशन फॉर दलित राइट्स, गुरु रविदासी संस्था इत्यादी प्रमुझ थे.

आंबेडकर मिशन इंटरनेशनल की स्थापना राजू काम्बले के नेतृत्व में २० वर्ष पूर्व किया गया था. आज यह संस्था प्रवाशी दलितों की ससक्त आवाज़ है.

भारत में इंसाफ नहीं, तो संयुक्त राष्ट्र पहुंच गये

इस प्रदर्शन के संयोजक मिलिंद अवासरमोल ने दलितों से जुड़े हालिया हिंसा की घटनाओ से अवगत कराया. मिलिंद ने बताया की अहमदनगर के संजय जाधव (४२ वर्ष), उनकी पत्नी जयश्री जाधव (३८ वर्ष) और पुत्र सुनील जाधव (१९ वर्ष) की निर्मम तरीके से हत्या  अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में कर दी गयी. हत्या के बाद उनके शारीर के टुकडे-टुकडे करके १०० से २०० मीटर की दूरी पर अलग अलग कर के फेंक दिया गया था. पुलिश अभी तक किसी भी आरोपी को पकड़ नहीं सकी है और न ही पकड़ने की कोई इक्षा दिखा रही है. जबकि हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं.

मिलिंद ने यह भी कहा कि अगर पकड़ भी लिया तो क्या होगा दलितो सम्बंधित करीब तीन हजार से ज्यादा केस विशष अदालतों में लंबित है और प्रति वर्ष करीब  एक से दो हजार केस और जुड़ जाते हैं.

दलितों की हत्या से जुड़े मुकदमो में अगर मामला फैसले तक पहुंचता है तो आरोपी बाइज्ज़त बरी कर दिए जाते हैं. उन्होंने सवाल किया कि  आख़िर दलितों को कंहा इंसाफ मिलेगा? अमेरिका जैसे देश में जंहा मानवधिकार बहुत ही अहम् अधिकार हैं हम आशा करते हैं की राष्ट्रसंघ और अमेरिकी सरकार इस दिशा में कुछ महतवपूर्ण कदम उठाएगी और भारत सरकार पर दलितों की सुरक्षा की मांग करेगी. इस अवसर पर 2 हजार डॉलर यानी लगभग एक लाख बीस हजार रुपये की  सहायता राशी मृतक संजय जाधव के वृद्ध माता पिता को भेजी गयी.

By Editor