राजधानी पटना का फ्रेजर रोड। डाकबंगला चौराहा। बड़ी अटालिकांए और उसमें छुपा भूकंप का दहशत। देखते ही देखते पूरा शहर सड़कों पर उतर आया। हर कोई मकानों से बाहर सड़कों की ओर भाग रहा था। आसमान में छाया बादल। पानी में भींगने का कोर्इ गिला नहीं। मन में संतोष था कि मौत के साये से बाहर आ गए हैं।1

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

करीब दिन के 12 बजे राजधानी पटना में भूकंप का झटका महसूस किया गया। उस समय आसमान में बादल भी छाये हुए थे। कुछ क्षण तक लोगों को भ्रम का अहसास हुआ, लेकिन यह समझते देर नहीं लगी कि यह भूकंप का झटका है। हर तरह लोग भागते हुए नजर आ रहे थे। हर कोई सुरक्षित जगह की तलाश में था। बहुमं‍जली इमारतों के बीच से गुजरने वालों की चिंता अलग थी। खैर, अभी तक पटना के किसी हिस्‍से से कोई नुकसान की खबर नहीं है।

 

अब टीआरपी का खेल2

इस बीच समाचार चैनलों ने माहौल बिगाड़ना शुरू कर दिया है। फिर भूकंप के खतरे की आशंका की खबरें दी जा रही हैं और उन्‍हें सुरक्षित स्‍थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है। यह भी मौसम विज्ञानिकों के हवाले से। मौसम वैज्ञानिकों ने भूकंप की खबर पहले नहीं दी और जब भूकंप के दहशत से लोग उबरने का प्रयास कर रहे हैं तो चैनल वालों भूकंप का टीआरपी पैदा करने में जुट गए हैं। खैर, ऐसी खबरों पर विश्‍वास करने या न करने का कोई कारण नहीं है। क्‍योंकि प्राकृतिक आपदा बिना बताये आये तो इसी में कल्‍याण है।

By Editor