मुजफ्फरपुर बालिकागृह बलात्‍कार कांड में आरोप झेल रही मंजू वर्मा का कुशवाहा कार्ड काम नहीं आया और आखिरकार उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा मुख्‍यमंत्री को सौंप दिया। मंजू वर्मा के इस्‍तीफे के बाद मंत्रिमंडल विस्‍तार की बात भी उठने लगी है और संभावना है कि रक्षाबंधन के पहले कुछ नये मंत्रियों को सरकार शामिल किया जा सकता है।

वीरेंद्र यादव

मंजू वर्मा के इस्‍तीफ से सामाजिक समीकरण के आधार पर दो संभावना पैदा होती है। पहला महिला होना और दूसरा कुशवाहा होना। मंजू वर्मा के इस्‍तीफे के बाद ‘नारीविहीन’ हो गयी है नीतीश सरकार। इस कारण मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर दोहरा दबाव है। उन्‍हें महिला का भी ख्‍याल रखना है और कुशवाहा का भी। जदयू में अभी कम से कम सात महिला विधायक हैं, लेकिन मंजू वर्मा के अलावा कोई कुशवाहा नहीं है। वैसी स्थिति में पूर्व मंत्री व समाज सुधार वाहिनी की प्रदेश अध्‍यक्ष रंजू गीता (यादव) मंत्री बनने के दौर में सबसे आगे बतायी जा रही हैं। वे सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी से विधायक हैं। इसके अलावा खगडि़या की पूनम यादव और धमदाहा की लेसी सिंह भी उम्‍मीद लगायी बैठी हैं।

कुशवाहा कोटे से समस्‍तीपुर जिले के रामबालक सिंह के नाम की भी चर्चा है। वे दूसरी बार विधायक चुने गये हैं। जदयू में 11 विधायक कुशवाहा जाति के हैं। कई विधायक चुनाव से पहले ही आरोप झेल चुके हैं। नीतीश कुमार किसी भी विवादित विधायक को सरकार में शामिल नहीं करना चाहेंगे। यदि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार का विस्‍तार करते हैं तो अधिक से अधिक छह सदस्‍यों को सरकार में जगह दे सकते हैं। इससें जदयू व भाजपा के साथ सामाजिक समीकरण का भी पूरा ख्‍याल रखा जाएगा।

By Editor