पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी की ‘हम’ की चाल से भाजपा का दम फुल गया है। जीतनराम मांझी की इफ्तार पार्टी में राजद प्रमुख लालू यादव व उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव के शामिल होने राजनीति में नयी संभावनाओं के कयास लगाए जा रहे हैं। इसका तात्‍कालिक परिणाम यह हो सकता है कि श्री मांझी एनडीए को छोड़कर राजद का कंधा पकड़कर महागठबंधन के खेमे में आ जाएं। जदयू की ओर से इसके विरोध की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन लालू यादव के निर्णय को नीतीश कुमार सिरे से नकार नहीं सकते हैं।

PATNA, JUNE 26 (UNI):- Ham (S) Chief Jitan Ram Manjhi with RJD Chief Lalu Prasad and Bihar Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav in an Iftar party in Patna on Sunday. UNI PHOTO-79U

वीरेंद्र यादव

 

दरअसल जीतनराम मांझी को एनडीए खासकर भाजपा से बड़ी अपेक्षा थी। वे अपने लिए राज्‍यसभा या बेटे के लिए विधान परिषद में जगह तलाश रहे थे। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। इससे श्री मांझी का क्षोभ बढ़ गया। उन्‍होंने सार्वजनिक मंच पर नाराजगी नहीं जतायी, लेकिन इफ्तार पार्टी में लालू यादव को आमंत्रित कर यह बता दिया कि कोई दरवाजा उनके लिए बंद नहीं है। फिर जिस वैचारिक पृष्‍ठभूमि के जीतनराम मांझी हैं, उसमें ‘उग्र सवर्णवाद’ को वह स्‍वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

 

हम यानी जीतनराम मांझी की पार्टी एक विधायक वाली पार्टी है। न गठबंधन बदलने में दिक्‍कत, न विलय करने में परेशानी। श्री मांझी के राजद में शामिल होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन तत्‍काल वे इसके लिए तैयार नहीं है। दरअसल वह लालू यादव व इफ्तार पार्टी के माध्‍यम से भाजपा पर दबाव बनाना चाहते हैं। वस्‍तुत: 2015 में जीतनराम मांझी के पराभव के शुरुआत भी पूर्व सांसद साधु यादव के घर दही-चूड़ा के भोज से हुई थी। संक्रात पर साधु यादव का दही-चूड़ा का ढकार मुख्‍यमंत्री पद से हटने के बाद ही खत्‍म हुआ। उस ढकार की वजह भी लालू यादव की ‘नमक-मिर्ची’ ही थी। अब मांझी बदले हुए माहौल में अपने लिए नयी संभावना की खोज में जुट गए हैं। इसमें दबाव भी एक कारगर हथियार हो सकता है। इफ्तार पार्टी में लालू यादव को आमंत्रित करने का औचित्‍य निरर्थक नहीं हो सकता है।

By Editor