हमारी पॉलिटिकल एडिटर अनिता गौतम बता रही हैं कि पत्रकार राजदीप सरदेसाई पर हुआ  हमला दर असल भगवा ब्रिगेड के उग्र चेहरा को बेनकाब करता है उनका यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

राजदीप: खतरे में पत्रकारिता
राजदीप: खतरे में पत्रकारिता


एक ओर अमेरिका के न्यूयार्क शहर के मैडिसन स्वायर गार्डेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भव्य स्वागत की तैयारी चल रही थी वहीं दूसरी ओर भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई को सुनियोजित तरीके से निशान बनाया जा रहा था।

राजदीप सरदेसाई लंबे समय से गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की हुकूमत की पोल खोलने वाले अहम पत्रकारों में से एक हैं। भगवा ब्रिगेड उन पर लगातार आंखे तरेरती रही है। कहा जाता है कि उन्हें और उनकी पत्नी को टीवी-18 ग्रुप से भी लोकसभा चुनाव के पूर्व नियोजित तरीके से आउट कर दिया गया था।

सेक्युलर खेमा उखाड़ने की मुहिम

मीडिया से सेक्यूलर खेमा को उखाड़ने के लिए व्यवस्थित तरीके से टीवी-18 ग्रुप का स्वामित्व मुकेश अंबानी ने हासिल किया और राजदीप सरदेसाई को उनकी मंडली समेत बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बावजूद राजदीप सरदेसाई तार्किक तरीके से मोदी सरकार के प्रति आलोचनात्मक रवैया अपनाये हुये थे, जोमोदी समर्थकों के नागवार गुजर रहा था।
आखिरकार उन्होंने राजदीप सरदेसाई पर हमला बोल ही दिया गया।     यह हमला अमेरिका के न्यूयार्क शहर में हुआ है, जहां पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी है।

यह हमला अमेरिका के न्यूयार्क शहर में हुआ है, जहां पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी है। इस हमले की जानकारी भले पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं रही होगी, लेकिन जिस तरह से न्यूयार्क शहर में नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राजदीप सरदेसाई पर हमला हुआ है उससे इतना तो साफ हो जाता है कि भारतीय मीडिया को लेकर भगवा ब्रिगेड के मनसूबे ठीक नहीं हैं।

चिंता का विषय

अमेरिका में सरदेसाई को निशाना बनाकार भगवा ब्रिगेड ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि मीडिया उनके इशारे में नहीं थिरकता है तो उसे ठीक कर दिया जाएगा। हैरान करने वाली बात यह है कि इस हमले के बाद नरेंद्र मोदी स्क्वायर गार्डेन में मौजूद प्रवासी भारतीयों और अमेरिकी सीनेटरों को पूरी भव्यवता के साथ डेमोक्रेसी का पाठ रहा थे। डेमोक्रेसी की सफलता अभिव्यक्ति की आजादी पर निर्भर करती है। अमेरिका में नरेंद्र मोदी की सभा के ठीक पहले यदि किसी भारतीय पत्रकार को सिर्फ मोदी सरकार के प्रति आलोचनात्मक रूख के लिए निशाना बनाया जाता है तो निसंदेह यह चिंता का विषय है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक महाशक्ति के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहा हैऔर मोदी समर्थक अब पूरी तरह से मोदी मैनिया के शिकार होते नजर आ रहे हैं। अब वे मोदी के खिलाफ एक शब्द भी सुनने के पक्ष में नहीं है। मोदी के खिलाफ निकलने वाली हर आवाज को दबाने का की कोशिश हो रही है।


देश के विभिन्न हलकों में राजदीप सरदेसाई पर हमले की तीखी निंदा की जा रही है, लेकिन पूरी दुनिया में भारत को लेकर 3-डी का फार्मूला गढ़ने वाले मोदी इस हमले को लेकर पूरी तरह से चुपी साध गये। संकेत अच्छे नहीं है, कम से कम उनके लिए जो स्वस्थ पत्रकारिता में यकीन रखते हैं। आने वाले समय में यदि कुछ और पत्रकारों को भी निशाना बनाया जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
बहरहाल मामला कितना भी पेचिदा हो पर एक बात आइने की तरह साफ है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के बाद मोदी सर्मथकों की बौराहट बढ़ गई है।

By Editor

Comments are closed.