विदशों में भारत के लिए जासूसी करने वाले संगठन के नये प्रमुख की जिम्मेदारी राजिंदर खन्ना को दी गई है. आखिर एक सीनियर अफसर को दरकिनार कर मोदी सरकार ने उन्हें क्यों चुना?

आरएएस 1978 बैच के अफसर राजिंदर खन्ना आलोक जोशी की जगह लेंगे . राजिंदर एक जनवरी से पद संभालेंगे. कैबिनेट कमेटी ने उनके नाम का अनुमोदन किया. बताया जाता है कि राजिंदर से सीनियर अफसर अरविंद सक्सेना को दरकिनार कर उन्हें इस पद पर बिठाने की खास वजह है. मोदी सरकार उन्हें खास तौर पर पसंद करती है.  सरकार का मानना है कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की पेचीदगियों को खूब समझते हैं.

पाकिस्तान और अरब देशों की उन्हें खूब समझ है. उनके सूत्र पाकिस्तान तक में काफी मजबूत माने जाते हैं. खबरों के अनुसार राजिंदर ने जासूसी के कई बड़े अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और वह  काउंटर टेरोरिज्म में महारत रखते हैं.

राजिंदर पहले से ही रॉ से जुड़े रहे हैं. इससे पहले रॉ ने कई बार सरकार से यह आग्रह किया कि उसके प्रमुख का पद किसी बाहरी अफसर को बनाने के बजाये अंदर के अफसर को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जाये. खन्ना इस पद पर दो वर्षों तक रहेंगे.

रॉ यानी रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग, भारत की विदेशों में जासूसी करने वाला संगठन है.

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