NDTV के संस्थापक प्रणव रॉय के आवास पर CBI छापे के बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित बैठक में इकनॉमिस्ट व पत्रकार अरुण शौरी ने केंद्र की मोदी सरकार की ओर इशारा करते हुए है कि राम गए, रावण गए… ये भी जाएंगे. बता दें कि शौरी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी के समय में राज्य सभा से बीजेपी के सांसद थे और तब वे अटल सरकार में टेलिकम्युनिकेशन और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के मंत्री भी थे. 

नौकरशाही डेस्क

शौरी ने प्रेस क्लब में आयोजित बैठक में मोदी सरकार पर मीडिया को बहलाने के प्रयासों की बात करते हुए कहा कि पहले विज्ञापन के जरिये पेट भरा गया, अब ‘मोदी सब कुछ सुन रहे हैं’ का भय दिखाया जा रहा है. अमित शाह CBI को कंट्रोल करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में जिसने भी प्रेस के खिलाफ आवाज उठाया है, उसका हाथ जल गया और उसे अपना हाथ खींचना पड़ा.
उन्होंने पूर्व पीएम राजीव गांधी के समय का उदाहरण देते हुए पत्रकारों से कहा कि सरकार जो छुपाना चाहे, वही खबर है, बाकी सब प्रोपेगैंडा. इसलिए खबरों को खोद निकालें. जब राजीव गांधी की सरकार मानहानि विधेयक लाई थी, तब मीडिया ने फैसला किया था कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हर मंत्री से पूछेंगे कि वह विधेयक का समर्थन करते हैं या नहीं? अगर मंत्री का जवाब ‘हां’ होगा तो जर्नलिस्ट्स प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकल जाएंगे. आप भी इस तरह के बायकॉट को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करें.

उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी के शासन काल के बाद ये पहली बैठक थी, जहां अरुण शौरी, कुलदीप नैयर, प्रणव रॉय और बड़ी संख्या पत्रकार प्रेस क्लब में एक साथ विमर्श को आये.

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