लालू प्रसाद के 70वें जन्म दिन पर महागठबंधन की अटूट एकता दिखी. ऐसी एकता को देख कर अब भाजपा और वैसे पत्रकारों को, जो ड़ेढ़ साल से सरकार गिराने के एजेंडे पर काम करते रहे हैं, उन्हें अब अपना एजेंडा बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा.

नौकरशाही ब्यूरो

ऐसा इसलिए कि महागठबंधन में दरार, टूट या बिखराव के छोड़े जाने वाले तमाम सोशे पर लालू-नीतीश-अशोक की जोड़ी ने रविवार को चौतरफा हमला बोला. इन नेताओं ने एक तरफ इसे भाजपा के ‘खाली दिमाग’ का एक मात्र काम बताया तो मीडिया को भी टीआरपी की भूख मिटाने से जोड़ा.  लालू ने तो नीतीश कुमार के नाम को रामबाण की तरह इस्तेमाल करते हुए साफ कहा कि कमिंटमेंट कमिटमेंट होता है. वह हमारे मुख्यमंत्री हैं, तो हैं. भाजपा वाले हल्ला मचाते रहें. उनके पास काम नही तो औऱ क्यां करेंगे.

 

पिछले ड़ेढ़ साल से विपक्ष और मीडिया लालू-नीतीश के संबंधों को ले कर जोरदार सवाल और खबरों की तुक्केबाजी की फिहरिस्त ले कर खड़े हो जाते हैं. ऐसे में नीतीश ने कहा किन-किन सवालों का जवाब दीजिएगा?  वे लोग बेरोजगार हैं. वे सवाल उठायेंगे ही. अब उनके सवाल का जवाब दीजिएगा तो उनका सवाल महत्वपूर्ण हो जायेगा. वे महत्वपूर्ण हो जायेंगे. रही बात मीडिया की तो 24-24 पेज का अखबार छापना और 24 घंटे का न्यूज चैनल के लिए खबरें जुटाना और पाठकों व दर्शकों को बांधे रखना, आसान है क्या. इस लिए वे कुछ करते रहते हैं.

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव  समेत गठबंधन के तमाम नेता रविरार को गंगा नदी पर बने दो पुलों के लोकार्पण समारोह में शामिल हुए. लेकिन इस अवसर पर पुल से जुड़ी बातों से ज्यादा तवज्जो गठबंधन की एकता पर, विपक्ष और मीडिया द्वारा अकसर उठाये जाने वाले सवालों के जवाब पर दी गयी. दर असल पिछले ड़ेढ वर्ष में यह पहला अवसर था जब महागठबंधन दलों के नेता एक साथ सरकार की एकता पर भाजपा के सवालों पर उसकी बखिया उधेड़ रहे थे. तो दूसरी तरफ इस मामले में मीडिया के एक हिस्से की हवाबाजी को कभी पुचकार कर तो कभी ललकार कर समाझा रहे थे कि गठबंधन की एकता पर सवाल बेकार है.

पत्रकारों पर भी कटाक्ष

लालू प्रसाद ने कहा कि चौथा खंभा हैं पत्रकार. उन्हें संवेदनशील बनना चाहिए. पर क्या करें उन्हें खबरों और टीआरपी के चक्कर में रहना पड़ता है. साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा वाले जो लार टपकाते रहते हैं तो ऐसे में कुछ लोग हम से पूछते हैं कि नीतीश कुमार से संबंध ठीक है ना?  मैं तो ऐसे सवालों पर अंदर ही अंदर हंस देता हूं.  भाई कमिटमेंट है हमारा. नीतीश हमारे मुख्यमंत्री हैं, तो हैं. हम जिस धारे की राजनीति करते हैं उस धारे की राजनीति नीतीश करते हैं. समस्या कहां है?

इससे पहले तेजस्वी जोरदार लहजे में महागठबंधन सरकार की एकता पर अपनी बात रख चुके थे. वह कह चुके थे कि भाजपा के लोग झूठ की गंगा बहाते हैं, लेकिन हम मजबूत एकता के साथ विकास का सेतु बनाने में जुटे हैं. इस गठबंधन को सोनियाजी लालू जी का आशीर्वाद प्राप्त है तो नीतीश कुमार का सफल नेतृत्व.

भाजपा पर पहली दफा एक साथ चौतरफा हमला

महागठबंधन सरकार के तीसरे घटक के रूप में शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि लालूजी के जन्मदिन पर यह समारोह आयोजित हो रहा है तो उन्हें ऐतराज है तो है. अशोक ने तेजस्वी का हौसला बढ़ात हुए कहा कि सीना ठोक कर आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि हां लालू जी के जन्मदिन पर गंगा पर बने दो पुलों का लोकार्पण किया गया.( जेपी सेतु दीखा व आरा छपरा के बीच वीरकुअंर सिंह सेतु).

महागठबंधन के नेता समय पर भाजपा द्वारा उठाये गये सवालों पर जवाब देते रहे हैं. वह आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा और भाजपासमर्थित मीडिया राज्य सरकार में दरार तलाशते रहते हैं. लेकिन महागठबंधन के दल अलग-अलग और अलग अलग अंदाज में ये बात कहते रहे हैं. पर यह पहला अवसर रथा जब तीनों दलों के नेताओं ने एक मंच से एकके बाद एक आये और सीधा भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार अटूट है.

 

 

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