लालू को 1996 में जेल तक पहुंचाने वाले CBI अफसर घुसखोरी मामले में कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं

राकेश अस्थाना ने 1996 में लालू प्साद के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी

यह एक रेयर घटना है जिसमें CBI ने अपने ही एक अधिकारी को रिस्वतखोरी का आरोप लगा कर गिरफ्तार कर लिया है। यह अधिकारी हैं देवेंद्र कुमार जो इसी महकमे में डीएसपी पद पर तैनात हैं।

यह पूरा मामला  CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़ा है. राकेश अस्थाना के खिलाफ  CBI के निदेशक आलोक वर्मा ने दो करोड़ रुपये रिस्वत लेने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया था.

अस्थाना को पिछले साल अक्टूबर में ही CBI का स्पेशल डायरेक्टर बनाया गया था. वह नरेंद्र मोदी के बहुत ही करीबी आईपीएस अधिकारी माने जाते हैं। राकेश वही अफसर हैं जिन्होंने एसपी के पद पर रहते हुए चारा घोटाला  मामले में 1996 में लालू प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

इससे पहले अस्थाना और वर्मा के बीच पिछले एक साल से आपसी टकराव की खबरें आ रही थीं. स्पेशल डायरेक्टर ने अपने ही बास आलोक वर्मा पर अपने पद का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाते रहे हैं. अस्थाना ने इसकी लिखित शिकायत भी की थी.

यह भी पढ़ें-

   CBI निदेशक आलोक वर्मा बिहार के रहने वाले हैं.

 

इधर इस मामले ने पिछले दिनों एक नया रंग तब ले लिया जब खुद राकेश मोईन कुरैशी के खिलाफ मनी लांडरिंग का केस चल रहा था। अस्थाना पर आरोप लगा कि उन्होंने मोईन कुरैशी से दो करोड़ रुपये लिये. इस मामले में अस्थाना को मुख्य आरोपी बनाया गया था जबकि देवेंद्र कुमार का नाम भी इस मामले में  लिया गया था।15 अक्टूबर को दर्ज प्राथमिकी की प्रति रविवार को मीडिया में उपलब्ध कराई गयी थी। प्राथमिकी के अनुसार श्री अस्थाना, सीबीआई के उपाधीक्षक विशेष जांच दल देवेंद्र कुमार, दो निजी व्यक्ति मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद तथा अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।

यह भी पढ़ें-

राकेश अस्थाना ने की थी CBI निदेशक के खिलाफ शिकायत

 

जानकारी के मुताबिक श्री अस्थाना के खिलाफ हैदराबाद के व्यापारी सतीश सना की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। सतीश के खिलाफ मीट व्यापारी मोईन कुरैशी से जुड़े एक धनशोधन मामले की भी जांच हो रही है। सीबीआई को दिए गए बयान में सतीश सना ने कहा है कि उसने श्री अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रिश्वत दी है। यह पैसा 10 महीने की अवधि में दिया गया है जिसकी शुरुआत दिसंबर 2017 से हुई है। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का दावा है कि सतीश सना कि यह शिकायत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों की साजिश है।

इधर इस मामले में राजद के उपाध्यक शिवानंद तिवारी ने राकेश अस्थाना को सीबीआई से हटाने की मांग की है और कहा है कि यह वही अधइकारी हैं जिन्होंने सृजन घोटाला मामले में कई ऐसे लोगों को बचाने का काम किया है जो मौजूदा बिहार सरकार में बैठे हैं।

 

 

 

By Editor