मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान आंदोलन के दौर फायरिंग में छह किसानों की मौत पर सियासत भी चरम पर है. इस मामले को लेकर एक बार फिर लालू प्रसाद ने भाजपा पर हमला बोला है. उन्‍होंने अपने ट्वीटर हैडिंल पर आज लिखा है – ‘किसान देश की रीढ़ है. इन्हें कुछ हुआ तो खड़े नहीं रह पाओगे. इन्हीं की दशा पर तरक़्क़ी की नींव टिकी हुई है.

नौकरशाही डेस्‍क

इसके अलावा लालू प्रसाद ने फेसबुक के जरिए लंबा पोस्‍ट लिखते हुए मंदसौर में वाजिब मांग उठाने के लिए  6 किसानों को मौत के घाट उतारने का आरोप लगाया. उन्‍होंने कहा कि मध्यप्रदेश और भाजपा शासित महाराष्ट्र के किसानों की दयनीय स्थिति क्‍या हो सकती है, जब वे स्वयं अपनी ही उपज को ही हताशा में सड़कों पर फेंक दे रहे थे. दूध बहा दे रहे थे. जिसे किसान अपने सन्तान की तरह खून पसीने से सींचता है.  देखभाल करता है.

लालू ने भाजपा को चुनावी वादे याद दिलाते हुए कहा कि वे किसानों को कुल लागत पर 50% अपनी ओर से जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने का वादा किया। उन्‍होंने कहा कि यह आपके लिए मात्र एक चुनावी रणनीति या हठखेली हो सकता है. मगर यह देश के ग़रीब व मजबूर अन्नदाता के लिए जीवन और मृत्यु का प्रश्न है. देश की 70% आबादी अपने जीविकोपार्जन के लिए कृषि व कृषि आधारित उद्योगों पर ही आश्रित है, ऐसे में कोई खुद को प्रधान सेवक कहने वाला व्यक्ति देश की आबादी के इतने बड़े हिस्से की अनदेखी कैसे कर सकता है ?

पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए लालू ने आगे लिखा – ‘भाजपाई बादशाह इतने निष्ठुर ना बनें कि एक पखवाड़े से हताश कृषकों के चल रहे विरोध प्रदर्शन को समझने के लिए चन्द पल निकाल नहीं सकते. दूर दूसरे देश में एक आदमी मरता है तो मोदी जी को इतनी पीड़ा होती है कि उनकी उंगलियां स्वतः ही उनके स्मार्टफोन पर नाच कर ट्वीट के माध्यम से उनकी पीड़ा जाहिर देती है. लेकिन आपके लोक कल्याण मार्ग स्थित सरकारी आवास से चंद मीटर और मिनट दूर हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आए तमिलनाडु के किसान कभी सड़क पर परोस भोजन खा रहे थे, कभी मूत्र पी रहे थे तो चूहे मुंह में दबाए अपने दुर्भाग्य पर छाती पीट रहे थे, पर आपके कानों में भूखे किसानों के बच्चों की कराह नहीं गई. जब लोक ही नहीं रहेंगे तो किसका कल्याण और कैसा नामकरण ?

उन्‍होंने कहा कि जब किसान नहीं रहेगा, उसका बच्चा नहीं रहेगा, तो कौन फौज में जाकर सीमा पर अपने सीने में गोली उतारेगा ? किसी पूँजीपति का बेटा तो नहीं जाएगा ? तो किसकी बहादुरी के दम पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासी रोटी गरम करेंगे ? गरीब का क्या है, किसान रहे या जवान, विवश होकर आपके ही चुनावी बहकावे या सियासी उकसावे में आएगा. छाती तो उसी की फटेगी, छाती तो उसी की छलनी होगी, चाहे आपकी झूठी बोली से हो या दुश्मन की गोली से.

राजद सुप्रीमो ने कहा कि प्रधानमंत्री जी, आप यह दावा करते नहीं थकते हैं कि आपने अपना बचपन गरीबी में काटा है. तो फिर आपको ग़रीबी की पीड़ा और उसके दुष्चक्र को समझने में इतनी दिक्कत क्यों हो रही है ? दो जून की रोटी जुटाना अगर देश के अन्नदाता के लिए ही असम्भव होने लगे, तो देश की क्या स्थिति होगी ?  हर साल हजारों की संख्या में किसान आत्महत्या कर रहा है, पर केंद्र के माथे पर इसे लेकर कोई शिकन नहीं है. आदिवासियों की ज़मीन हड़पी जा रही है, अनाप शनाप कानून बनाकर किसानों की हड़प पूंजीपतियों को देने के उपाय लगाए जा रहे हैं.

लालू ने व्यापक तौर पर किसानों के लिए कर्ज़माफी की मांग की. उन्‍होंने कहा कि सिंचाई के लिए नहरों का जाल हो और उसके अभाव में सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की व्यवस्था हो. अगर परिस्थितियों पर काबू ना पाया गया तो किसान मरने पर सदैव विवश बने रहेंगे. अगर इस प्रकार ग़रीब किसानों को उनकी मांगों पर गोली मारते रहेंगे, तब तो आस लगाए हताश कृषकों के लिए आत्महत्या से भी अधिक वीभत्स मृत्यु सरकार द्वारा थोपा जाता रहेगा. किसान देश की रीढ़ है. इन्हें कुछ हुआ तो खड़े नहीं रह पाओगे. मत भूलों किसानों की दशा पर ही तरक़्क़ी की नींव टिकी हुई है.

By Editor