बिहार विधानसभा स्‍पीकर उदय नारायण चौधरी द्वारा जदयू के चार विधायकों की सदस्‍यता समाप्‍त करने की घोषणा के बाद भाजपा खेमे में खुशी देखी जा सकती है। पार्टी नेता स्‍पीकर के निर्णय का विरोध कर रहे हैं और बर्खास्‍त विधायकों के प्रति सहानुभूति भी जता रहे हैं। यह पहले तय था कि जदयू के बागी विधायकों को भाजपा का टिकट दिया जाएगा। इसी विश्‍वास पर भाजपा के डेढ़ दर्जन विधायकों ने नीतीश कुमार को चुनौती दी थी। हालांकि बाद में कई विधायकों ने माफी मांग ली थी। अभी चार विधायकों पर फैसला 22 नंवबर को आएगा।

नौकरशाहीडॉटइन डेस्‍क

 

इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जदयू के चार विधायकों की सदस्यता समाप्त की है, जो पूरी तरह असंवैधनिक और अलोकतांत्रिक है।   श्री मोदी ने यहां कहा कि सभाध्यक्ष श्री चौधरी ने श्री नीतीश कुमार के इशारे पर अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कार्रवाई कर संवैधानिक पद की गरिमा भी गिराई है। यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 10 का उल्लंघन है।

 

उन्होंने कहा कि इसके तहत सदन के बाहर विधायकों के आचरण को आधार बनाकर उनकी सदस्यता समाप्त नहीं की जा सकती है।   भाजपा नेता ने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव में मतदान करना सदन के बाहर का आचरण है। उन्होंने कहा कि नीतीश विरोधी जदयू विधायकों को आतंकित करने के लिए दल-बदल कानून का खुला दुरूपयोग किया गया है और संविधान के अनुच्छेद 10 का भी माखौल उड़ाया है। इस बीच भाजपा प्रवक्‍ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सीएम जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के इशारे पर काम कर रहे हैं।

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