भारत द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर (पाक समझने की भूल ना करे, विभिन्न न्यूज चैनल उन्माद में इसे पाकिस्तान बता रहे है) में सर्जिकल स्ट्राइक किये गए। कई आतंकी ठिकानो को नष्ट किया गया और चैनेलो के मुताबिक 38-40 आतंकियों को हमारे वीर सैनिको ने मार गिराया। चुकीं अलग अलग न्यूज वाले विभिन्न आंकड़े बता रहे हैं पर यहाँ मैंने कोई एक संख्या ले ली है।.. आलेख दीपक झा

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भारत द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर (पाक समझने की भूल ना करे, विभिन्न न्यूज चैनल उन्माद में इसे पाकिस्तान बता रहे है) में सर्जिकल स्ट्राइक किये गए। कई आतंकी ठिकानो को नष्ट किया गया और चैनेलो के मुताबिक 38-40 आतंकियों को हमारे वीर सैनिको ने मार गिराया। चुकीं अलग अलग न्यूज वाले विभिन्न आंकड़े बता रहे हैं पर यहाँ मैंने कोई एक संख्या ले ली है। PoK में ये हमला उरी में हुए फिदायीन हमले का जवाब था। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद काफी कुछ हो रहा है जिसकी किसी को आशंका नही थी। सैन्य पराक्रम और सरकार के कुशल नेतृत्व के साथ भारत ने जरूर पाकिस्तान को सबक सिखाया है पर सेना का ये प्रयास एक ‘गुप्त मिशन’ था और इसे गुप्त ही रखना चाहिए था। पर सरकार के इस कदम का ढिंढोरा टेलीविज़न पर अभी तक पीटा जा रहा है और सत्ताधारी पार्टी सेना के इस बहादुरी का राजनैतिक लाभ लेने की पूरी कोशिश कर रही है। सरकार जहाँ खुद को शाबाशी देते नही थक रही वहीँ कुछ चैनल जो सत्ताधारी पक्ष के लिए काम करती जान पड़ती है, वो प्रधानमंत्री को ऊँचा दिखाने का हर संभव प्रयास कर रही है। सेना का ये दुरूपयोग हर कोण से शर्मनाक है। इस तरह के सर्जिकल स्ट्राइक मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी कई बार हुए पर मोदी सरकार की तरह उन्होंने एक गुप्त मिशन का अत्यधिक प्रचार नही किया और ना ही कभी राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की।

उरी आतंकी हमले में हमारे 19 सैनिक शहीद हो गए। ये भारत सरकार के दावों और चुनाव पूर्व किये गए वादों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह था। पठानकोट हमला और अब ये उरी हमले ने सरकार को देशवाशियों के सामने घुटने पर ला दिया। पाकिस्तान को लाल आँखे दिखाने से लेकर एक सर के बदले 10 सर लाने की बात जुमले लगने लगे। पूरा देश एक स्वर में सरकार से अनुरोध कर रहा था कि उन्हें भाषण नही अब काम चाहिए। सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर घनघोर युद्ध चलने लगा। इसी बीच नरेंद्र मोदी ने केरल में एक भाषण दिया जिसमे उन्होंने कहा की पाकिस्तान और भारत गरीबी भुकमरी भ्रस्टाचार हटाने में युद्ध करे फिर देखे कौन जीतता है। उन्होंने पाकिस्तानी नागरिको से अपील की कि सरकार को इन सब मश्लो पर काम करने बोले। इसी के साथ युद्ध की अटकलों पर विराम लग गया था। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को अलग थलग करने की बात की। लगा की अब भारत पाकिस्तान से विभिन्न तरह से लड़ना चाहता है। पर विपक्षी पार्टियों और सामाजिक तत्वो की ओर से लगातार होते आलोचनाएं और अपनी साख बचाने के लिए भारत सरकार ने सेना के द्वारा PoK के आतंकी ठीकनो को निशाना बनाया। सरकार के इस कदम का सभी ने जोरदार स्वागत किया। यहाँ तक की कांग्रेस ने भी राजनीती को अलग रख कर सरकार का पूरा समर्थन किया। पर इन सबके बाद भारत के मीडिया ने जो एक गुप्त सैन्य मिशन का ढिंढोरा पीटा वो वाक़ई शर्मनाक है और देश के अश्मिता पर सवाल है।

हालाँकि पाकिस्तान अपने अधिकृत इलाके में हुए कार्यवाई को मानने को तैयार नही है या यूँ कहिये की मानना नही चाहता। पाकिस्तान के मानने ना मानने से फर्क नही पड़ता पर संयुक्त राष्ट्र और विश्व के कई जाने माने अख़बार जैसे की वाशिंगटन पोस्ट, cnn, bbc इत्यादियों ने भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे हमें फर्क पड़ता है क्योंकि ये हमारे सैनिको के पराक्रम के ऊपर एक सवाल है जिसका जवाब भारत सरकार को देना चाहिए। ऐसा क्यू है की उनके पास इस सर्जिकल स्ट्राइक को ले कर दूसरी धारणाये हैं? ऐसा उस वक़्त क्यों नही था जब कांग्रेस के समय में ऐसी कार्यवाई हुई? क्या भारत सरकार का फ़र्ज़ नही बनता की उनके सवालों का विस्वसनीय जवाब दे और बताये की हम क्या क्या कर सकते हैं? संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने बताया कि UNMOG ने नियंत्रण रेखा पर किसी तरह की गोलीबारी नही देखी और किसी प्रकार के हमले का खंडन किया। अगर भारत सरकार ने इन दावों का खंडन नही किया तो हमारे सेना के पराक्रम की साख के ऊपर सवाल आ सकता है।

बीते 2 सालों में देशभक्ति विषय पर काफी चर्चाएं होती आ रही है। इन गंभीर मश्लो को काफी सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। किसी को भी देशद्रोही होने का तमगा पहना दिया जाता है जैसे ये बच्चे का खेल हो। यही कारण है कि सोचने समझने वाले लोग भी सवाल ना कर चुपचाप जैसे नदी के वेग के साथ हो लेते हैं। मौजूद स्थिति सचमुच में दुखद है जब लोग प्रश्न पूछने से डरने लगे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी के समर्थन में पूरी तरह दिखे। एक वीडियो संवाद के तहत उन्होंने कहा – “कुछ दिनों पहले हमारे 19 सैनिक आतंकी हमले में शहीद हो गए। पिछले हफ्ते ही हमारी सेना ने काफी बहादुरी के साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर इसका बदला लिया। भले ही हमारे और नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक मतभेद रहे हों पर मै इस मसले पर उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम करता हूँ। पर हमारी कार्यवाई के बाद पाकिस्तान पूरे विश्व में प्रोपेगंडा फैला रहा है और सभी को गुमराह कर रहा की भारत के दावे गलत हैं। दो दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की बातों में आकर कहा है कि कार्यवाई के कोई सबूत नही हैं। पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों को बुला कर ये दिखाना चाह रहा है कि सब कुछ सामान्य है। मैंने जब ये रिपोर्ट देखी तो मेरा खून खौल उठा। भारत सरकार को पाकिस्तान के इस प्रोपेगंडा का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। ”

बस इतना कहना था कि पाकिस्तानी मीडिया ने इस वाक़या को अपने फायदे के लिए गलत तरीके से ये दिखाया की कैसे केजरीवाल मोदी से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं। भारतीय मीडिया से इस मसले पर कुछ बुद्धिमानी के अपेक्षा की जा रही थी पर उन्होंने भी केजरीवाल के बयान को तोड़ मरोड़ कर दिखाने की कोशिश की और ये माहौल बना दिया की केजरीवाल पाकिस्तान के हक़ में बोल रहे हैं। “केजरीवाल बने पाकिस्तान के हीरो” जैसे हैडलाइन दिखा कर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश की गयी। वैसे ही मोदी समर्थित मीडिया का केजरीवाल से 36 का आंकड़ा रहता है। काफी संख्या में लोग इन्ही चैनलों को देख अपनी अपनी राय बनाते हैं और जैसे ही इस खबर को मीडिया ने अपने तरीके से पेश किया, वो कस्बा जो नरेंद्र मोदी को अपना भगवान् मानता है, वही पुराने ‘देशद्रोही’ का राग अलापने लगे। बिना विडियो देखे लोग अलग अलग गंदे तरीके से केजरीवाल पर गालियों से भरी टिपण्णी करने लगे। कैसे एक राजनीती से प्रेरित मीडिया समाज में नफ़रत पैदा करता है इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला और समय समय पर हमेशा मिलता रहता है। केजरीवाल ने बस इतना कहा कि पाकिस्तान जिस तरह से दुनिया को सर्जिकल स्ट्राइक पर गुमराह कर रहा है उसपर भारत सरकार को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। मुझे लगता है कुछ गलत नही कहा बल्कि पूरे देश को ऐसा बोलना चाहिये। ज्ञात रहे की केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई सवाल नही उठाया और न ही खुद के लिए सबूत माँगा। इसपर सरकार और इनके समर्थको और इनकी मीडिया में ऐसा उबाल और नफ़रत की भावना एक बिभत्सव राजनीतिक साजिश की और इशारा करता है।

एक तरफ जहाँ भारतीय सेना युद्ध के मुहाने पर बैठी है और उनकी छुट्टियां रद्द हो रही है वहीँ दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी सेना के द्वारा राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होने को हैं और सर्जिकल स्ट्राइक पर खुद को शाबाशी देते ताल ठोकते भाजपा की पोस्टरें जगह जगह पर लग चुकी है। भारतीय सेना का ऐसा दुरूपयोग ना तो किसी ने पहले किया ना ही एक सभ्य सरकार ऐसा करने को सोच सकती है। कुछ वोट पाने के लिए इस तरह की शर्मनाक हरकत वास्तव में पहली और ऐतिहासिक है। पिछली सरकारों ने भी कई बार इस तरह की कार्यवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था पर किसी सरकार ने अपनी पीठ इतने दिनों तक खुद नही थपथपाई थी। भारतीय राजनीति में ये एक नया शर्मनाक अध्याय जुड़ा है। हालाँकि सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए ये नया नही है। 26/11 के समय जब हमारे जवान आतंकवादियों से मुम्बई की सड़कों पर लोहा ले रहे थे तो तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर सरकार को कोस रहे थे और राजनीति कर रहे थे। अब जब वो दूसरों को राजनीति करने से मना कर रहे तो उन्हें अपने गिरेबाँ में झाँक लेना चाहिए।

कुल मिला का संक्षेप में कहें तो हर भारतीय को भारतीय सेना के DGMO के वक्तब्य पर कोई संदेह नही है पर अगर दुनिया इसे झुठलाने की कोशिश में है तो भारत सरकार को जवाब देना चाहिए और कुछ तथ्य पेश करने चाहिए। जरूरी नही की तथ्य आपरेशन का वीडियो हो पर ऐसा कुछ तो हो जो सवाल उठाने वालों के मुंह पर तमाचा हो। सैन्य कार्यवाई के ऊपर प्रचार और राजनीति बंद हो। भाजपा उत्तरप्रदेश में लगाये गए पोस्टरों का संज्ञान ले और उसे तुरंत हटाये ताकि हमारी सेना अपमानित न महसूस करे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना को अपनी ताकत का एहसास उनके कारण ही हुआ है। मंत्रियों को चाहिए की सोच समझनकर बयान बाजी करे। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की तरह ऐसी बाते न कहें जिससे सेना की अस्मिता को ठेस पहुचे।

— दीपक झा

PoK में ये हमला उरी में हुए फिदायीन हमले का जवाब था। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद काफी कुछ हो रहा है जिसकी किसी को आशंका नही थी। सैन्य पराक्रम और सरकार के कुशल नेतृत्व के साथ भारत ने जरूर पाकिस्तान को सबक सिखाया है पर सेना का ये प्रयास एक ‘गुप्त मिशन’ था और इसे गुप्त ही रखना चाहिए था। पर सरकार के इस कदम का ढिंढोरा टेलीविज़न पर अभी तक पीटा जा रहा है और सत्ताधारी पार्टी सेना के इस बहादुरी का राजनैतिक लाभ लेने की पूरी कोशिश कर रही है। सरकार जहाँ खुद को शाबाशी देते नही थक रही वहीँ कुछ चैनल जो सत्ताधारी पक्ष के लिए काम करती जान पड़ती है, वो प्रधानमंत्री को ऊँचा दिखाने का हर संभव प्रयास कर रही है। सेना का ये दुरूपयोग हर कोण से शर्मनाक है। इस तरह के सर्जिकल स्ट्राइक मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी कई बार हुए पर मोदी सरकार की तरह उन्होंने एक गुप्त मिशन का अत्यधिक प्रचार नही किया और ना ही कभी राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की।

उरी आतंकी हमले में हमारे 19 सैनिक शहीद हो गए। ये भारत सरकार के दावों और चुनाव पूर्व किये गए वादों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह था। पठानकोट हमला और अब ये उरी हमले ने सरकार को देशवाशियों के सामने घुटने पर ला दिया। पाकिस्तान को लाल आँखे दिखाने से लेकर एक सर के बदले 10 सर लाने की बात जुमले लगने लगे। पूरा देश एक स्वर में सरकार से अनुरोध कर रहा था कि उन्हें भाषण नही अब काम चाहिए। सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर घनघोर युद्ध चलने लगा। इसी बीच नरेंद्र मोदी ने केरल में एक भाषण दिया जिसमे उन्होंने कहा की पाकिस्तान और भारत गरीबी भुकमरी भ्रस्टाचार हटाने में युद्ध करे फिर देखे कौन जीतता है। उन्होंने पाकिस्तानी नागरिको से अपील की कि सरकार को इन सब मश्लो पर काम करने बोले। इसी के साथ युद्ध की अटकलों पर विराम लग गया था। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को अलग थलग करने की बात की। लगा की अब भारत पाकिस्तान से विभिन्न तरह से लड़ना चाहता है। पर विपक्षी पार्टियों और सामाजिक तत्वो की ओर से लगातार होते आलोचनाएं और अपनी साख बचाने के लिए भारत सरकार ने सेना के द्वारा PoK के आतंकी ठीकनो को निशाना बनाया। सरकार के इस कदम का सभी ने जोरदार स्वागत किया। यहाँ तक की कांग्रेस ने भी राजनीती को अलग रख कर सरकार का पूरा समर्थन किया। पर इन सबके बाद भारत के मीडिया ने जो एक गुप्त सैन्य मिशन का ढिंढोरा पीटा वो वाक़ई शर्मनाक है और देश के अश्मिता पर सवाल है।

हालाँकि पाकिस्तान अपने अधिकृत इलाके में हुए कार्यवाई को मानने को तैयार नही है या यूँ कहिये की मानना नही चाहता। पाकिस्तान के मानने ना मानने से फर्क नही पड़ता पर संयुक्त राष्ट्र और विश्व के कई जाने माने अख़बार जैसे की वाशिंगटन पोस्ट, cnn, bbc इत्यादियों ने भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे हमें फर्क पड़ता है क्योंकि ये हमारे सैनिको के पराक्रम के ऊपर एक सवाल है जिसका जवाब भारत सरकार को देना चाहिए। ऐसा क्यू है की उनके पास इस सर्जिकल स्ट्राइक को ले कर दूसरी धारणाये हैं? ऐसा उस वक़्त क्यों नही था जब कांग्रेस के समय में ऐसी कार्यवाई हुई? क्या भारत सरकार का फ़र्ज़ नही बनता की उनके सवालों का विस्वसनीय जवाब दे और बताये की हम क्या क्या कर सकते हैं? संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने बताया कि UNMOG ने नियंत्रण रेखा पर किसी तरह की गोलीबारी नही देखी और किसी प्रकार के हमले का खंडन किया। अगर भारत सरकार ने इन दावों का खंडन नही किया तो हमारे सेना के पराक्रम की साख के ऊपर सवाल आ सकता है।

बीते 2 सालों में देशभक्ति विषय पर काफी चर्चाएं होती आ रही है। इन गंभीर मश्लो को काफी सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। किसी को भी देशद्रोही होने का तमगा पहना दिया जाता है जैसे ये बच्चे का खेल हो। यही कारण है कि सोचने समझने वाले लोग भी सवाल ना कर चुपचाप जैसे नदी के वेग के साथ हो लेते हैं। मौजूद स्थिति सचमुच में दुखद है जब लोग प्रश्न पूछने से डरने लगे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी के समर्थन में पूरी तरह दिखे। एक वीडियो संवाद के तहत उन्होंने कहा – “कुछ दिनों पहले हमारे 19 सैनिक आतंकी हमले में शहीद हो गए। पिछले हफ्ते ही हमारी सेना ने काफी बहादुरी के साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर इसका बदला लिया। भले ही हमारे और नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक मतभेद रहे हों पर मै इस मसले पर उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम करता हूँ। पर हमारी कार्यवाई के बाद पाकिस्तान पूरे विश्व में प्रोपेगंडा फैला रहा है और सभी को गुमराह कर रहा की भारत के दावे गलत हैं। दो दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की बातों में आकर कहा है कि कार्यवाई के कोई सबूत नही हैं। पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों को बुला कर ये दिखाना चाह रहा है कि सब कुछ सामान्य है। मैंने जब ये रिपोर्ट देखी तो मेरा खून खौल उठा। भारत सरकार को पाकिस्तान के इस प्रोपेगंडा का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। ”

बस इतना कहना था कि पाकिस्तानी मीडिया ने इस वाक़या को अपने फायदे के लिए गलत तरीके से ये दिखाया की कैसे केजरीवाल मोदी से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं। भारतीय मीडिया से इस मसले पर कुछ बुद्धिमानी के अपेक्षा की जा रही थी पर उन्होंने भी केजरीवाल के बयान को तोड़ मरोड़ कर दिखाने की कोशिश की और ये माहौल बना दिया की केजरीवाल पाकिस्तान के हक़ में बोल रहे हैं। “केजरीवाल बने पाकिस्तान के हीरो” जैसे हैडलाइन दिखा कर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश की गयी। वैसे ही मोदी समर्थित मीडिया का केजरीवाल से 36 का आंकड़ा रहता है। काफी संख्या में लोग इन्ही चैनलों को देख अपनी अपनी राय बनाते हैं और जैसे ही इस खबर को मीडिया ने अपने तरीके से पेश किया, वो कस्बा जो नरेंद्र मोदी को अपना भगवान् मानता है, वही पुराने ‘देशद्रोही’ का राग अलापने लगे। बिना विडियो देखे लोग अलग अलग गंदे तरीके से केजरीवाल पर गालियों से भरी टिपण्णी करने लगे। कैसे एक राजनीती से प्रेरित मीडिया समाज में नफ़रत पैदा करता है इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला और समय समय पर हमेशा मिलता रहता है। केजरीवाल ने बस इतना कहा कि पाकिस्तान जिस तरह से दुनिया को सर्जिकल स्ट्राइक पर गुमराह कर रहा है उसपर भारत सरकार को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। मुझे लगता है कुछ गलत नही कहा बल्कि पूरे देश को ऐसा बोलना चाहिये। ज्ञात रहे की केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई सवाल नही उठाया और न ही खुद के लिए सबूत माँगा। इसपर सरकार और इनके समर्थको और इनकी मीडिया में ऐसा उबाल और नफ़रत की भावना एक बिभत्सव राजनीतिक साजिश की और इशारा करता है।

एक तरफ जहाँ भारतीय सेना युद्ध के मुहाने पर बैठी है और उनकी छुट्टियां रद्द हो रही है वहीँ दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी सेना के द्वारा राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होने को हैं और सर्जिकल स्ट्राइक पर खुद को शाबाशी देते ताल ठोकते भाजपा की पोस्टरें जगह जगह पर लग चुकी है। भारतीय सेना का ऐसा दुरूपयोग ना तो किसी ने पहले किया ना ही एक सभ्य सरकार ऐसा करने को सोच सकती है। कुछ वोट पाने के लिए इस तरह की शर्मनाक हरकत वास्तव में पहली और ऐतिहासिक है। पिछली सरकारों ने भी कई बार इस तरह की कार्यवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था पर किसी सरकार ने अपनी पीठ इतने दिनों तक खुद नही थपथपाई थी। भारतीय राजनीति में ये एक नया शर्मनाक अध्याय जुड़ा है। हालाँकि सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए ये नया नही है। 26/11 के समय जब हमारे जवान आतंकवादियों से मुम्बई की सड़कों पर लोहा ले रहे थे तो तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर सरकार को कोस रहे थे और राजनीति कर रहे थे। अब जब वो दूसरों को राजनीति करने से मना कर रहे तो उन्हें अपने गिरेबाँ में झाँक लेना चाहिए।

कुल मिला का संक्षेप में कहें तो हर भारतीय को भारतीय सेना के DGMO के वक्तब्य पर कोई संदेह नही है पर अगर दुनिया इसे झुठलाने की कोशिश में है तो भारत सरकार को जवाब देना चाहिए और कुछ तथ्य पेश करने चाहिए। जरूरी नही की तथ्य आपरेशन का वीडियो हो पर ऐसा कुछ तो हो जो सवाल उठाने वालों के मुंह पर तमाचा हो। सैन्य कार्यवाई के ऊपर प्रचार और राजनीति बंद हो। भाजपा उत्तरप्रदेश में लगाये गए पोस्टरों का संज्ञान ले और उसे तुरंत हटाये ताकि हमारी सेना अपमानित न महसूस करे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना को अपनी ताकत का एहसास उनके कारण ही हुआ है। मंत्रियों को चाहिए की सोच समझनकर बयान बाजी करे। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की तरह ऐसी बाते न कहें जिससे सेना की अस्मिता को ठेस पहुचे।

— दीपक झा

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