सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी ऐतिहासिक 124 वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 पर आज देर रात संसद की मुहर लग गयी।  राज्यसभा में इस विधेयक पर लगभग आठ घंटे तक चली चर्चा के बाद इसे सात के मुकाबले 165 मतों से पारित कर दिया गया। लोकसभा इसे कल ही पारित कर चुकी है। 

सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष के लगभग सभी दलों ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन द्रमुक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव किया जिसे 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया गया। इसके साथ इन दलों विधेयक में पेश किये संशोधन के प्रस्ताव भी खारिज कर दिये गये।  कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन किया जबकि अन्नाद्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध किया।

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चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार अच्छी मंशा से इस विधेयक को लायी है जिससे सामान्य वर्ग के लोगों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

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