जहां बिहार सरकार 75 प्रतिशत हाजिरी वाले को ही साइकिल व पोशाक देने पर अडिग है वहीं सरकारी स्कूलों का मुंह नहीं देखने वाले सैकड़ों छात्र इसका लाभ उठा ले रहे हैं.राज्य में मचे कोहराम की वजह यही है.

संजय कुमार की रिपोर्ट

गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हालांकि स्पष्ट कहा कि किसी भी हाल में 75 प्रतिशत हाजिरी वाले छात्रों को ही इन योजनाओं का लाभ दिया जायेगा, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.पर राज्य भर में सरकार के इस फैसले का विरोध सिर्फ इसलिये नहीं हो रहा है कि कुछ बच्चों की हाजिरी 75 प्रतिशत से कम है. बल्कि विरोध की वजह यह है कि शिक्षकों-अभिभावकों का एक गठजोड़ ऐसा भी है जिनके बच्चे शिक्षा तो नजी स्कूलों में प्राप्त करते हैं पर सरकारी सुविधा भी उठा ले रहे हैं.

साइकिल के लिए सड़क पर( जागरण)

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इसलिए वैसे छात्र और अभिभावक राज्य भर में सड़कों पर उतर गये हैं कि उनके बच्चों की हाजिरी अगर 75 प्रतिशत से कुछ कम है तो उन्हें पोशाक व साइकिल नहीं मिल रहे हैं पर वैसे लोगों के बच्चे जो सरकारी स्कूलों में आते भी नहीं, केवल नामांकन करा लेते हैं और निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, उन्हें यह सुविधा मिल जा रही है.

बताया जाता है कि नालंदा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर के साथ अन्य जिलेों में हजारों की संख्या में निजी स्कूल हैं.इन स्कूल के संचालक अपने बच्चों का नामांकन दोबारा अपने मेल वले सरकारी स्कूल में करा देते हैं.

बताया जाता है की सरकारी राशि वितरण के दौरान छात्र तथा उनके अभिभावक इस लिए हल्ला हंगामा कर रहे है कि उनके बच्चो की हाजिरी 5 प्रतिशत भी कम हो जाती है तो राशि नहीं दी जा रही है,वहीं एक दिन भी स्कूल का मुह नही देखने वाले छात्रों की हाजरी 75 प्रतिशत से अधिक है. हंगामा भी वैसे ही विधालय में ही हो रहे है,जहा बाहरी छात्रों को ये लाभ मिल गये हैं.

ऐसे में छात्रों का गुस्सा लाजिमी भी है.उनका सवाल है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने बाले छात्रों का बिना स्कूल आये सरकारी स्कूल में हाजिरी कैसे बन जाती है?

कहीं न कही प्राइवेट स्कूल के संचालको तथा सरकारी विधालय के हेड मास्टर के बीच सांठ-गांठ है.

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