नोटबंदी पर जबरन वाहवाही लूटने और उसके नकारात्मक प्रभाव को छुपाने के बाद अब हकीकत सामने आ ही गयी है कि देश की अर्थव्वस्था को भारी झटका लगा है. एक तरह से नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को रौंद डाला है.

नौकरशाही डेस्क

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने कल ही आर्थिक विकास के आंकड़े जारी किये हैं. इसमें साफ बताया गया है कि नोटबंदी के असर से देश का जीडीपी( शकल घरेलू उत्पाद) जो पिछले वर्ष 8 प्रतिशत पर थी वह जनवरी-मार्च 2016-17 तिमाही घट कर 6.1 प्रतिशत रह गयी. वैसे पूरे वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत रही.

सच्चाई तो यह है कि ये आंकड़ें जितन दर्शाये गये हैं उससे भी ज्यादा भयावह हैं क्यों कि भारत में जीडीपी की गणना में  असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाता. जबकि नोटबंदी का सबसे बुरा असर इसी क्षेत्र पर पड़ा है.

तेज विकास का ताज भारत से छीना

नोटबंदी भारत के उस गर्वबोध को ध्वस्त कर दिया है जब हम यह कहते नहीं थकते थे कि भारत दुनिया का सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थवय्स्था है. इतना ही नहीं दुनिया का सबसे तेजी से विकसित अर्थव्यस्था का भारत के सर से ताज चीन ने छीन लिया है. जिस तिमाही में भारत 6.1 की गति से बढ़ रहा था उसी समय चीन की गति 6.9 प्रतिशत हो गयी.

अगर आप सीएसओ के विस्तृत आंकड़ें देखें तो लगता है कि वह होश उड़ा देने वाले हैं. कृषि क्षेत्र को छोड़ कर देश के हर क्षेत्र को नोटबंदी ने तबाह कर डाला है. सबसे भयावह स्थिति तो  निर्माण क्षेत्र की है. जहां पिछले वर्ष निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 12.7 प्रतिशत थी वह 5.3 प्रतिशत रह गयी. यह गिरावट भयावह है जो इस बात का भी सुबूत है कि निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर दैनिक मजदूरों और इंजीनियरों की नौकरियां तक  चली गयीं.

अभी तक नोटबंदी के लाभ का कोई ठोस रूप मोदी सरकार ने देश के सामने नहीं रखा. आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने की बात दिवास्वप्न साबित हुआ. बल्कि पिछले एक साल में आतंकी और नक्सली वारदात में इजाफा हुआ है.

यह याद दिलाने की बात है कि पिछले वर्ष 8 नवम्बर को पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक रात के आठ बजे नोटबंदी की घोषणा कर दी. और साथ ही बताया कि इससे काला धन बाहर आ जायेगा. इस घोषणा के बाद देश भर में नोटों के लिए हाहाकार मच गया. देखते देखते बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जाने लगीं. अस्पतालों में मरीज पुराने नोट रहते हुए इलाज के लिये तड़पने लगे. पुराने नोट महज कागज का टुकड़ा रह गये जिसके कारण सैकड़ों परिवारों में शादियां तक रुक गयीं. लेकिन मोदी सरकार के द्वारा हसीन सपने दिखाये गये जिस सपने की उम्मीद में देश सब झेलता रहा. लेकिन अब जब नोटबंदी के परिणाम सामने हैं तो सरकार पास अब कोई तर्क नहीं है.

इन आंकड़ों के जारी होने के बाद बिहार के उपमुख्मंत्री तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने सवाल पूछा है कि भक्तों और भक्तों के अराघ्य जवाब दो कि देशी का जीडीपी दो वर्ष के न्यूनतम स्तर पर चला गया है, इसका जिम्मेदार कौन है.

 

By Editor