सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में गुजरात, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यसचिवों द्वारा अदालत से गैरहाजिर रहने पर फटकार लगाते हुए कहा है कि क्या उन्हें पेश होने के लिए गरजमानती वारंट जारी करना पड़ेगा.

तीनों राज्यों के मुख्यसचिवों को, लापता बच्चों पर यथास्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए जारी एक नोटिस का जवाब देने में विफल रहने का कारण स्पष्ट करने के लिए अदालत में उपस्थिति होने के लिए कहा गया था.
चीफ जस्टिस कबीर ने सम्बंधित राज्यों की तरफ से पेश हुए वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आप क्या समझते हैं कि हम सिर्फ आदेश पारित करने के लिए आदेश पारित करते हैं.’
बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता, एच. एस. फुल्का ने न्यायालय को बताया कि हर दिन लापता होने वाले 100 बच्चों के बारे में पता नहीं चल पाता.

इस पर न्यायमूर्ति कबीर ने कहा, ‘लगता है कि लापता बच्चों की पीड़ा की चिंता किसी को नहीं है. यह हास्यस्पद है.’ न्यायालय ने तीनों मुख्यसचिवों को 19 फरवरी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने का निर्देश दिया.

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