महिला शोषण के खिलाफ मुखर आवाज की प्रतिनिधि के रूप में उभरी उपन्यासकार व लेखिका तबस्सुम फातिमा के नये कहानी संग्रह  ‘जुर्म व अन्य कहानियां’ ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है. इस पुस्तक की डिमांड आनलाइन शापिंग स्टोर अमेजन डॉट इन पर लगाता बढ़ती जा रही है.

 

नौकरशाही डेस्क

ई-कल्पना किताब प्रकाशन  द्वारा इस कहानी संग्रह को छापा गया है. तबस्सुम फातिमा की  कहानियां विगत कुछ वर्षों में हंस समेत हिंदी-उर्दू की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छप चुकी हैं.

तबस्सुम फातिमा अफसानों, नज्मों और साहित्य के अनेक विधाओं में विगत तीन दशकों से सक्रिये लेखन करती रही हैं. इसके अलावा वह नौकरशाही डॉट कॉम समेत अनेक अखबारों में नियमित रूप से कॉलम लिखती हैं. लघु फ्लिम निर्देशन व प्रोडक्शन के क्षेत्र में तबस्सुम ने काफी काम किया है. उनके द्वारा बनाये गये विज्ञापन विभिन्न चैलनों पर लगातार टेलिकास्ट होते रहे हैं. बिहार के छोटे से शहर आरा से निकल कर तबस्सुम ने अपनी बड़ी शिनाख्त बनाई है. फिलवक्त वह दिल्ली में रहती हैं.

तबस्सुम महिला शोषण के मनो वैज्ञानिक पहलु को अपनी कलम से उकरने में महारत रखती हैं. पुरुषवादी वर्चस्व की मानसिकता को  वह अपनी कहानियों में बखूबी न सिर्फ चिन्हित करती हैं बल्कि उसका बारीक विश्लेषण भी पेश करती हैं. हालांकि कई बार उनकी कहानियों में महिला अधिकारों के प्रति कुछ ज्यादा ही संवेदनशीलता दिखती है जो अतिश्योक्ति लगने लगता है.

 

अपने इस कहानी संग्रह में तबस्सुम ने लिखा है -“हम उसे हर बार सपने देखने से पहले ही मार देते हैं / वह जीवित होते हुए भी केवल एक नाटक भर है / जब तक जीवन शेष है, नाटक चलता रहेगा / लेकिन कोई उसे ढूंढ के नहीं लाएगा / यह असफलता ही दरअसल मर्द की सफलता है मेरा परिचय यही है। मेरे लेखन में यही औरत जागती रही है। मैं उसे हर बार जीवन के एक नए युद्ध के लिए तैयार करती हूँ। मैं उसे जीवन के हर मोर्चे पर सब से आगे देखना चाहती हूँ। यह लड़ाई समाज के साथ लेखन को भी लड़नी है। इस में मेरी भागीदारी केवल इतनी है ,कि मैं ने इस जंग के लिए लेखन को अपना हथियार बनाया है।”

 

 

 

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