अधिवक्‍ता व सामाजिक कार्यकर्ता काशिफ युनूस ने कहा है कि भारत में मुगल काल का अधिकांश इतिहास उर्दू में है। लेकिन अंग्रेजी व संघी इतिहासकारों ने इसकी गलत अनुवाद व व्‍याख्‍या की।20140921-0006

 

रविवार को पटना के फतुहा में तहरीक ए उर्दू की बैठक को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि युवाओं को उर्दू में लिखित इतिहास पढ़ना चाहिए, ताकि भारत की वास्‍तविक सच्‍चाई को समझ सकें। उन्‍होंने नालंदा‍ विश्‍वविद्यालय के उद्घाटन के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज के उस कथन का हवाला दिया, जिसमें श्रीमती स्‍वराज ने कहा था कि नालंदा विश्‍वविद्यालय को अलाउद्दीन खिलजी ने ध्‍वस्‍त किया था। कशिफ युनूस ने कहा कि सच्‍चाई यह है कि नालंदा विश्‍वविद्यालय ब्राह्मण व बौद्धों की आपसी लड़ाई में बर्बाद हुआ था।

नौकरशाहीडॉटइन डेस्‍क

 

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए तहरीक ए उर्दू के अध्‍यक्ष मो कमालुजफ्फर ने लोगों से अपील की कि उर्दू के मान-सम्‍मान के लिए एकजुट हों। उसके इस्‍तेमाल के लिए अभियान चलाया जाए। उन्‍होंने कहा कि बिहार में उर्दू दूसरी राजभाषा है, लेकिन सरकारी कामकाज में इसका इस्‍तेमाल न के बराबर होता है। सरकारी स्‍कूलों में उर्दू में पुस्‍तकें भी उपलब्‍ध नहीं हैं। तहरीक ए उर्दू  के महासचिव व वरीय पत्रकार रेहान गनी ने कहा कि उर्दू के विकास के लिए समन्वित व ईमानदार प्रयास करना होगा। मौलाना मंजर आलम ने कहा कि उर्दू और उर्दू साहित्‍य की लोकप्रियता और उपयोगिता के लिए सरकारी व गैरसरकारी स्‍तर पर प्रयास करना होगा।

 

इस दौरान वक्‍ताओं ने इस बात पर भी बल दिया कि उर्दू की उपयोगिता बढ़ाने के लिए उसे पढ़ाई के साथ रोजगार की भाषा बनाना होगा। तभी युवाओं में उर्दू को लेकर रुचि पैदा होगी और उसके साथ स्‍वयं को आत्‍मसात कर पाएंगे। इस मौके पर तहरीक ए उर्दू के प्रयासों की सराहना भी वक्‍ताओं ने की।

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