हिरास्त में मौत पर हंगामा

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार समस्तीपुर में हिरासत में हुई मौत के बाद लोगों ने भारी हंगामा किया है. सम्स्तीपुर के पुलिसकस्टडी में आरोपी महेन्द्र महतो (50 वर्ष) की मौत इलाज के दौरान हो गई। मृतक विभूतिपुर थाना के पतैलिया गांव का रहने वाला था। आरोपी लूट और रंगदारी के मामले में फरार था, जिसे विभूतिपुर पुलिस ने मंगलवार को बेगूसराय जिला के चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर विभूतिपुर थाने पर ले आयी थी। शाम में अचानक महेन्द्र को उल्टी होने के साथ तबीयत खराब होने लगी। इसके बाद पुलिस ने उसे पीएचसी, विभूतिपुर में भर्ती कराया। इलाज के बाद वहां से डॉक्टर ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों को सौंप दिया।
इधर बुधवार को परिजन ग्रामीणों ने विभूतिपुर थाने पर प्रदर्शन कर हंगामा करने लगे और सड़क को जाम कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि पुलिस द्वारा पिटाई किये जाने से उसकी मौत हुई है जिसकी जांच की जाय।

बिल्डर द्वारा वादाखिलाफी, एफआईआर दर्ज

दैनिक जागरण की खबर के अनुसार ग्रेटर नोएडा के निकट दादरी कोतवाली पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर सुपरटेक कंपनी के सीएमडी आरके अरोड़ा और उनके कर्मचारी विकास शर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। उनके खिलाफ निर्धारित अवधि में फ्लैट पर कब्जा न देने व बुकिंग के वक्त दिखाए गए मास्टर प्लान से इतर निर्माण करने पर मामला दर्ज किया गया है। एफआइआर प्रोफेसर एके सिंह ने दर्ज कराई है। मूलरूप से जौनपुर निवासी प्रोफेसर एके सिंह बीटा-दो सेक्टर में रहते हैं। वह नॉलेज पार्क के एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं। वर्ष 2009 में सुपरटेक ने ओमीक्रान-एक सेक्टर में सी जार नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रोजेक्ट में एके सिंह ने भी टू बीएचकेफ्लैट बुक कराया था। उस वक्त फ्लैट की कीमत लगभग सत्रह लाख रुपये थी। कंपनी की ओर से वादा किया गया था कि दिसंबर, 2011 में फ्लैट पर कब्जा दे दिया जाएगा, लेकिन कंपनी ने वादा पूरा नहीं किया। कब्जा लेने के लिए जब एके सिंह ने कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। कुछ माह बाद कंपनी ने उन्हें पत्र लिखकर पूर्व निर्धारित कीमत से लगभग आठ लाख रुपये अतिरिक्त की मांग की

प्रशासनिक अफसरों को मिलके रहेगी सजा

रांची से प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन में कमीशन लेनेवाले सहित चार अफसरों को दिया गया दंड माफ करने से इनकार कर दिया है. इन अधिकारियों ने राज्य सरकार से सजा माफ करने की अपील की थी. सरकार ने जिनकी सजा माफ करने से इनकार किया है, उनमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बंका राम, ब्रज शंकर प्रसाद सिन्हा, नरेंद्र कुमार सिन्हा और रवींद्र कुमार के नाम शामिल हैं.
शिकारीपाड़ा के तत्कालीन अंचलाधिकारी ब्रज शंकर प्रसाद सिन्हा पर सामाजिक सुरक्षा राशि में गड़बड़ी का आरोप था. उन पर वृद्धावस्था पेंशन भुगतान के दौरान लाभुकों से 600 रुपये पर अंगूठे का निशान लगवाने और 400 रुपये ही भुगतान करना का आरोप था.

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