उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 35(ए) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई छह अगस्त तक के लिए आज मुल्तवी कर दी।  इस अनुच्छेद के तहत जम्मू कश्मीर के ‘स्थायी निवासियों’ के साथ-साथ उन्हें मिलने वाले विशेष अधिकारों को भी परिभाषित किया गया है। इस अनुच्छेद के प्रावधानों के तहत दूसरे राज्य के व्यक्ति वहां न तो अचल सम्पत्ति खरीद सकते हैं, न सरकारी नौकरी पा सकते हैं। वे न छात्रवृत्ति और न किसी प्रकार की सहायता पाने के अधिकारी हैं।

यहां तक कि इस राज्य की महिला यदि दूसरे राज्य के पुरुष से शादी कर लेती है तो उसके सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं, इसके उलट जब कोई पुरुष पाकिस्तान की लड़की से शादी कर ले, तो उस पाकिस्तानी लड़की को सभी अधिकार प्राप्त हो जाते हैं। केन्द्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष दलील दी कि यह मसला बहुत ही गम्भीर है और न्यायालय को तत्काल कोई अंतरिम आदेश नहीं सुनाना चाहिए।

प्रमुख याचिकाकर्ता दिल्ली के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘वी द सिटीजन्स’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 को स्थायी दर्जा दिया है। विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में इस मसले की व्याख्या जरूरी है, इसलिए पीठ को फिलहाल कोई अंतरिम आदेश नहीं सुनाना चाहिए। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई छह अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।  इस मामले में तीन अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी हैं। न्यायालय ने सभी को एक साथ संलग्न कर दिया था।

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