बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज बताया कि बाढ़ की चेतावनी 72 घंटे पूर्व प्रचारित करने की प्रणाली विकसित कर ली गई है, जो बाढ़ प्रवण क्षेत्रों के लिए काफी कारगर साबित होगी।
बिहार कोसी विकास परियोजना के तहत कोसी बेसिन पर आधारित कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद उन्‍होंने कहा कि फ्लड मैनेजमेंट इम्प्रूवमेंट सिस्टम सेंटर (एफएमआईएससी), पटना द्वारा 72 घंटा पूर्व बाढ़ की सभी सूचना प्रचारित करने की प्रणाली विकसित की गई है। यह प्रणाली बिहार जैसे बाढ़ प्रणव क्षेत्रों के लिए कारगर साबित होगा।

मंत्री ने कहा कि कोसी नदी पर लगातार अध्ययन चल रहा है। अभियंताओं के अथक प्रयास से वर्ष 2008 में घटित कोसी त्रासदी के बाद इस नदी को मुख्यधारा में लौटाकर अभियंताओं ने काबिले-तारीफ काम किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने अभियंताओं पर गर्व है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि गाद प्रबंधन समिति का गठन किया जाये। प्रायः बिहार की सभी बड़ी नदियों में गाद की समस्या विकराल रूप ले रही है।

इस मौके पर जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव त्रिपुरारि शरण ने अभियंताओं से अपील की है कि उन्हें नदियों के स्वतंत्र प्रवाह के संबंध में भी कार्य करने की आवश्यकता है। पूर्व के दिनों में जब नदी को बांध बनाकर नियंत्रित नहीं किया गया था तो गाद की समस्या नहीं थी। आज बांध बन जाने से सभी प्रमुख नदियों गंगा, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला में गाद की समस्या विकराल हो गई है। श्री शरण ने कहा कि एफएमआईएससी द्वारा बाढ़ पूर्वानुमान एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करते हुए बाढ़ के जोखिम को कम करने एवं समय रहते आम लोगों तक इसकी सूचना दी जायेगी। वर्तमान में गेज आधारित बाढ़ का आकलन कर सूचना प्रचारित की जाती है। इस प्रणाली से जलप्लावन क्षेत्र, गहराई एवं समय अवधि का आकलन नहीं किया जाता।

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