अररिया : कुल्‍हैया व अंसारी की ताकत से तय होती है जीत-हार

अररिया लोकसभा 1967 में पहली बार अस्तित्व में आया था। 1967 से 2004 तक यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। सुखदेव पासवान पांच बार यहां से निर्वाचित हुए। 2009 में पहली बार यह सीट अनारक्षित हुई। 2009 के चुनाव में इस सीट से भाजपा के प्रदीप सिंह निर्वाचित हुए। 2014 में राजद के मो. तस्लीमुद्दीन ने प्रदीप सिंह का पराजित कर सीट पर कब्जा जमाया। उनके देहांत के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र व पूर्व विधायक सरफराज आलम राजद के टिकट पर निर्वाचित हुए। सरफराज विधान सभा में जदयू के विधायक थे, लेकिन अररिया उपचुनाव के लिए उन्होंने विधान सभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजद की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी के टिकट पर लोकसभा के चुने गये।
——————————————————-
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 7
————————————————
सांसद — सरफराज आलम — राजद — कुल्हैया (मुसमलान)
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
नरपतगंज — अनिल यादव — राजद — यादव
रानीगंज — अछमित ऋषिदेव — जदयू — मुसहर
फारबिसगंज — विद्यासागर केसरी — भाजपा — बनिया
अररिया — अबीदुर रहमान — कांग्रेस — मुसलमान
जोकिहाट — शाहनवाज आलम — राजद — मुसलमान
सिकटी — विजय मंडल — भाजपा — केवट
————————————————–
2014 में वोट का गणित
मो. तस्लीमुद्दीन — राजद — मुसलामन — 407978 (43 फीसदी)
प्रदीप सिंह — भाजपा — गंगेय — 261474 (27 फीसदी)
विजय मंडल — जदयू — केवट —221769 (23 फीसदी)
2018 का उपचुनाव
———————
सरफराज अहमद — राजद — कुल्हैया — 509334
प्रदीप सिंह — भाजपा — गंगेय — 447346
————————————————————————–

सामाजिक बनावट
—————
अररिया लोकसभा क्षेत्र में 40 फीसदी से अधिक मतदाता मुसलमान हैं। मुसलमानों में 50 फीसदी से अधिक आबादी कुल्हैया की है। इसके बाद अंसारी की आबादी काफी है। राइन तीसरे स्थान पर हैं। अररिया में सवर्ण मुसलमान शेख, सैयद और पठान की आबादी 10-15 फीसदी है। मुसलमानों के बाद यादव के वोटरों की संख्या 12-15 फीसदी है। अतिपिछड़ों की आबादी 20-22 फीसदी है। सवर्णों की आबादी 5 से 7 फीसदी ही है। 2009 में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित प्रदीप सिंह अतिपिछड़ा वर्ग के गंगेय जाति के थे। मो. तस्लीमुद्दीन भी अतिपिछड़ी जाति के कुल्हैया समुदाय से आते थे।
दो मुसलमानों की लड़ाई में जीत गये थे प्रदीप
———————————————–
अररिया में राजद के आधार वोट वाले मुसलमान और यादवों की आबादी 55 फीसदी से अधिक है। इसके बाद भी गंगेय जाति के प्रदीप सिंह चुनाव जीत गये थे। यह जीत भाजपा के लिए भी अप्रत्याशित थी। 2009 में अररिया सीट राजद व लोजपा के समझौते के तहत लोजपा को मिली थी। 2009 में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ रही थी। लोजपा के उम्मीदवार जाकिर हुसैन खान के खिलाफ कांग्रेस ने भी मुसलमान उम्मीदवार शकील अहमद खान को मैदान में उतार दिया। भाजपा व लोजपा के बीच जीत का अंतर मात्र 22 हजार था, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार ने करीब 50 हजार वोट हासिल किया था।
अररिया उपचुनाव
———————–
मो. तस्लीमुद्दीन के देहांत के बाद हुए इसी साल हुए उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। उपचुनाव इस मायने में महत्वपूर्ण था कि नीतीश व भाजपा दोनों एक साथ थे। 2009 में भी नीतीश व भाजपा एक साथ होकर चुनाव जीत गये थे और इस बार साथ होकर चुनाव हार गये। यह इस बात का प्रमाण है कि नीतीश कुमार ने अपना आधार वोट को खो रहे हैं। अररिया से कांग्रेस विधायक अबीदुर रहमान कहते हैं कि नीतीश कुमार ने अपना विश्वास खो दिया है। जबकि नरपतगंज के राजद विधायक अनिल यादव कहते हैं कि अररिया का मुकाबला एक तरफा होगा और फिर राजद की जीत होगी।
कौन-कौन हैं दावेदार
——————————-
अररिया लोकसभा को लेकर राजद में कोई विवाद नहीं है। सरफराज आलम फिर से उम्मीदवार होंगे। लेकिन एनडीए में सीट को लेकर अभी तय नहीं है कि यह सीट भाजपा लड़ेगी या जदयू। प्रदीप सिंह दो बार चुनाव हार चुके हैं। फिर भाजपा अपनी हारी हुई अधिक सीट जदयू को देना चाहती है और सीमांचल की सीट भाजपा सहयोगी के माथे ही मढ़ना चाहती है। यदि यह सीट भाजपा के कोटे में गयी तो प्रदीप सिंह के अलावा पूर्व विधायक जर्नादन यादव और पूर्व एमएलसी में राजेंद्र गुप्ता भी दावेदार माने जा रहे हैं। राजेंद्र गुप्ता भी अतिपिछड़ी जाति के हैं। इस संसदीय क्षेत्र में मात्र एक विधायक जदयू के पास हैं, जो आरक्षित सीट रानीगंज से निर्वाचित हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के उम्मीदवार रहे विजय मंडल अब भाजपा के विधायक हैं। अररिया में जदयू को उम्मीदवार का संकट भी झेलना पड़ सकता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सीट भाजपा के पास ही रहेगी और भाजपा किसी अतिपिछड़ा को ही उम्मीदवार बनाएगी।

लोकसभा चुनाव 2019  के मद्देनजर इस सीरीज की किस्तवार स्टोरी यहां पढ़ें

वाल्मीकिनगर: थारू ही बांधेंगे सांसद को सेहरा

 

सासाराम: छेदी पासवान की दावेदारी पर लटक रही तलवार 

मधुबनी- यादव और मुसलमान के अखाड़े में  झंडा बदलने की तैयारी

 

By Editor