बिहार में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। प्रस्तावित बीजेपी विरोधी गठबंधन के नेता के तौर पर कांग्रेस की पसंद लंबे समय से सहयोगी रहे लालू यादव के बजाय अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।lalu
जनता परिवार के एकीकरण से लेकर बिहार में गठबंधन बनाने तक से जुड़ी समाजवादी दलों की तमाम योजनाएं पर पलीता लगता नजर आ रहा है। कांग्रेस और जनता दल (यू) के टॉप सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी के बदलते रवैये को सिर्फ सख्त बार्गेनिंग के जरिये कंट्रोल नहीं किया जा सकता।  बिहार में जेडी(यू) के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों से लालू जेडी(यू) पर जीतन राम मांझी को लेकर दबाव बना रहे हैं।

<script language=”JavaScript1.2″ type=”text/javascript” src=”http://www.hostingraja.in/affiliates/idevpeels.php?id=950&peel=1″></script>

जेडी(यू) के एक सीनियर नेता ने बताया कि पहले आरजेडी ने कहा कि गठबंधन का आधार लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन होना चाहिए, जहां आरजेडी का प्रदर्शन जेडी(यू) के मुकाबले बेहतर रहा। हमने कहा कि लोकसभा नतीजों से निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा और इसके लिए झारखंड में बीजेपी के प्रदर्शन की मिसाल दी गई, जहां लोकसभा चुनावों में बीजेपी 56 विधानसभा सीटों पर आगे रही थी। हालांकि, लालू यादव अभी पत्ते नहीं खोल रहे हैं और तमाम अटकलबाजियों का एक ही जवाब दे रहे हैं। उन्होंने नीतीश कुमार के ग्रुप के लीडर बनने की कोशिश की तरफ इशारा करते हुए कहा कि गठबंधन होना तय है, लेकिन सबको बड़े त्याग के लिए तैयार रहना चाहिए।

By Editor