बिहार में अल्पसंख्यकों के बजट में 26 प्रतिशत की भारी कटौती पर कोहराम मचा है. होली की छुट्टी के बाद विधानसभा में कांग्रेस की पहल पर समूचे विपक्ष ने सरकार के रवैये पर जोरदार हंगामा किया तो दूसरी तरफ अनेक संगठनों के प्रतिनिधियों ने नीतीश कुमार पर जम कर हमला बोला.

विधानसभा में बजट पर चली बहस के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने नीतीश सरकार के इस कदम को अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया. कांग्रेस ने इस मुद्दे को सदन में उठाया. वित्त मंत्री ने इस पर अपनी सफाई देने की कोशिश की लेकिन समूचा विपक्ष इस से संतुष्ट नहीं हुआ. लगातार हंगामे के बाद कांग्रेस विधायक दल के सचेतक डा. मोहम्मद जावेद के नेतृत्व में समूचा विपक्ष वाक आउट कर गया. इस मुद्दे को राजद की ओर से नेमतुल्लाह ने उठाया. जबकि माले ने भी विपक्ष का सहयोग दिया.

जानें अल्पसंख्यक कल्याण पर कैसे हुई बजट में कटौती

 

उधर सदन से वाक आउट के बाद कांग्रेस विधायक डा. जावेद आजाद के आवास पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मीटिंग की. इस मीटिंग में बारी आजमी, परवेज अहमद, आफ्ताब नबी, फहीम अख्तर, मोहम्मद महताब, ओबैदुर्रहमान, शोमएल अहमद, सिद्धार्थ क्षत्रिये, यासिर अहमद, इबरार रजा, नकीब एकता, आफाक अहमद और फैयाज अहमद  ने इस मुद्दे को बहुत ही संगीन और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध सरकार की ‘घृणित’ मानसिकता करार दिया. इस मीटिंग में इस बात पर जोर दी गयी कि इस इंसाफी के खिलाफ आंदोलन किया जाये और अल्पसंख्यकों के प्रति नीतीश सरकार के वास्तविक चेहरे को बेनकाब किया जाये. इस मीटिंग में यह तय किया गया कि बिहार के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों जिनमें मुस्लिम, क्रिश्चन, सिख, बौद्ध मुख्य रूप से शामिल हैं, के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाये और लोगों को नीतीश सरकार के चेहरे को बेनकाब किया जाये.

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गौरतलब है कि गत 27 फरवरी को बिहार बजट पेश किया गया. जिसमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट में 26 प्रतिशत की भारी कटौती की घोषणा कर दी गयी. ध्यान रहे कि विगत बजट में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 595 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी थी, जबकि मौजूद बजट में इसमें 160 करोड़ रुपये की कमी करते हुए इसे महज 435 करोड़ पर सीमित कर दिया गया.

विधायक ड़ा मोहम्मद जावेद ने बताया कि एक तरफ जहां सरकार बिहार के कुल बजट में 16 हजार करोड़ रुपये का इजाफा किया है वहीं अल्पसंख्यक कल्याण के बजट में कमी कर दी गयी है. यह सराक के पक्षपातपूर्ण रवैये को दर्शाता है. बौद्धिक जमात के लोगों ने इसे कदम की कड़ी आलोचना की और प्वाइंट आउट किया कि भाजपा से हाथ मिला लेने के बाद नीतीश कुमार साम्प्रदायिक घृणा की शिकार हो गयी है. यही कारण है कि नीतीश सरकार ने एक खास समुदाय के बजट में कटौती कर दी.

 

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