देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी में स्नातक स्तर की पढ़ाई अब और महंगी हो जाएगी। सरकार ने इन संस्थानों में फीस 90 हजार रूपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने का फैसला किया हैं, लेकिन अनुसूचित जाति, जनजाति, दिव्यांगों तथा एक लाख रुपए से कम की सालाना आय वाले परिवारों के छात्रों के लिए फीस माफ कर दी गई है। 

 

मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसके साथ ही पांच लाख रुपए सालाना से कम आय वर्ग वाले परिवारों के छात्रों को फीस में दो तिहाई छूट देने का निर्णय लिया गया है। फीस की यह नयी व्यवस्था अगामी शैक्षणिक सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्रों पर लागू होगी। आईआईटी परिषद् की स्थायी समिति ने पिछले महीने अपनी एक रिपोर्ट में फीस तीन गुना करने का सुझाव दिया था। इसपर अंतिम फैसला परिषद की अध्यक्ष मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को लेना था। आईआईटी में इससे पहले 2013 में फीस बढ़ाई गई थी । तब सालाना फीस 50  हजार रूपए से बढ़ाकर 90  हजार रुपए की गई थी। आईआईटी में करीब 80 हजार छात्र हैं। फीस बढ़ोतरी के असर को कम करने के लिए छात्रों के लिए बैंकों से ब्याज रहित शिक्षा कर्ज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी। उन्हें यह सुविधा संस्थान में प्रवेश लेने के साथ ही दे दी जाएगी। छात्रों को लिया गया कर्ज पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी से होने वाली कमाई से चुकाना होगा।
सरकार का मानना है कि फीस में छूट से देशभर के आईआईटी के छात्रों में से करीब 50 फीसदी को फायदा होगा। आईआईटी में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत अनुसूचित जन जाति के लिए 7.5 प्रतिशत जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिश्त सीटें आरक्षित हैं।  आईआईटी के निदेशक लंबे समय से इस कोशिश में लगे हैं कि संस्थान को वित्तीय तौर पर स्वायत्त बनाकर अनुसंधान का एक अंतरराष्ट्रीय केन्द्र बनाया जाए।

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