मध्य प्रदेश में जेल विभाग के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) उमेश गांधी के यहां लोकायुक्त पुलिस द्वारा मारे गए छापे में 25 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति का पता चला है. पिछले छह महीने में काली कमाई वाले कोई आधा दर्जन बाबुओं के यहां छापेमारी हो चुकी है.

गांधी के आवास से दो करोड़ 30 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट, 40 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी, चार लाख रुपये नकद और 10 लाख के जेवरात के अलावा इंदौर, भोपाल, सागर में आवास व भूखंड होने के दस्तावेज मिले हैं.

लोकायुक्त पुलिस को डीआईजी (जेल) गांधी के पास आय से अधिक सपत्ति होने की शिकायत मिली थी. इसकी जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार की सुबह गांधी के भोपाल स्थित सरकारी आवास, उनके भाई के सुभाषनगर स्थित आवास व सागर में एक साथ दबिश दी.

गांधी के इंदौर, भोपाल व कटनी में दुकानें हैं. इसके अलावा भोपाल में तीन आवास, छह भूखंड व अन्य स्थानों पर भी भूखंड है. बैंक खातों में 85 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा है। इस तरह उनके पास 25 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति है.

बताया जा जा रहा है कि गांधी ने रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी निवेश किया है. गांधी के भाई जो खुद एक अधिकारी हैं, के यहां से भी सम्पत्ति के दस्तावेज मिले हैं. सागर में गांधी के परिजन परिवहन व बीज का कारोबार भी कर रहे हैं.

इस मामले के उजागर होने के बाद प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट और मध्य प्रदेश स्थापना दिवस मनाकर गौरव महसूस करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की असलियत यह है कि उन्होंने पूरे प्रदेश के शासन-प्रशासन का भ्रष्टाचारीकरण कर दिया है जहां चपरासी 10 करोड़ व आईएएस 450 करोड़ रुपये का मालिक है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में फैले भ्रष्टाचार का जिम्मेवार तो राजनीतिक नेतृत्व है. इसलिए ऐसी सरकार को बने रहने का कोई हक नहीं है.

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