समय पर बिढ़नी के छत्‍ते में हाथ डाल दिया है 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने । परेशानी में बिहार सरकार है । रोहतास-औरंगाबाद-कैमूर में माइनिंग और रोड माफिया का छत्‍ता बड़ा पुराना है । इस छत्‍ते में सभी दलों के लोग शामिल हैं । अभी राजद का हल्‍ला है, कभी भाजपा का शोर था । गठजोड़ के काकटेल के बड़े हिस्‍से को कई बड़े पुलिस वाले गटकते रहे हैं । पहले लांडे और बाद में आईबी की रिपोर्ट से हल्‍ला मच गया है कि कैसे एक डीआईजी और कई डीएसपी माफिया की कमाई के हिस्‍से से ‘मालपति’ बन गए हैं । जीटी रोड की कमाई से ही माफिया बिहार सरकार को सालाना 1800 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा रहा है । माइनिंग माफिया की कमाई का हिसाब अलग है । काश, यह पैसा सरकार को मिलता और शराबबंदी से होने वाले नुकसान की भरपाई होती ।

ज्ञानेश्‍वर, वरिष्‍ठ पत्रकार

 

आईपीएस लांडे के रिपोर्ट बम और आईबी के इनपुट पर बिहार की राजनीति जरुर गरमाएगी । लांडे की रिपोर्ट समय पर आई है । राजनीतिक महत्‍व है । पुलिस महकमे में सबों को पता है कि रोहतास एसपी के पद से 2015 में लांडे की विदाई कैसे हुई थी । लांडे ने तब रोहतास में माइनिंग और जीटी रोड के परमिट माफिया के खिलाफ जेहाद छेड़ रखा था । इसी माफिया ने विदाई कराई । अब यह माफिया फिर से रोहतास में अपने मन के एसपी को ले जाने की कोशिश में था । माफिया की समझ थी कि बदनाम डीआईजी के साथ यह एसपी धंधे को और बढ़ाता । पर, सरकार में ही कुछ लोग माफिया के कहे पर खास को एसपी बनाने को तैयार नहीं थे । सो, समय रहते बम फोड़ दिया गया ।

नया एसपी बनाने का दबाव

लेटर-इनपुट बम का हल्‍ला बढ़ता जा रहा है । अब माफिया के खास तो रोहतास के एसपी नहीं बनेंगे, यह तय है । दूसरी ओर रोहतास के वर्तमान एसपी मानवजीत सिंह ढिल्‍लो ने पत्‍थर माफिया के खिलाफ आपरेशन भी प्रारंभ कर दिया है । संडे 17 जनवरी को व्‍यापक आपरेशन चला । इधर पटना में खबरों से परेशान बिहार पुलिस हेडक्‍वार्टर ने जांच ईओयू (आर्थिक अपराध यूनिट) को सौंपने का एलान किया । तय मानिए कि हंगामा अभी और बढ़ेगा तथा सरकार को कार्रवाई करनी होगी । सरकार कइयों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस कर कानून का शासन होने का प्रमाण भी देना चाहेगी ।ips-shivdeep

 

माइनिंग माफिया

कहा जा रहा है कि रोहतास में माइनिंग माफिया का आपरेशनल चीफ आशुतोष सिंह नामक शख्‍स है । यह राजद से जुड़ा बताया जा रहा है । कइयों की जानकारी में पार्टी का सेक्रेट्री भी रहा है । वैसे कुछेक लोग आशुतोष सिंह को समंदर की बहुत छोटी मछली मानते हैं । लेटर-इनपुट बम के बाद आशुतोष सिंह बचने को पटना के गलियारे में हाथ-पैर मार रहे हैं । आशुतोष की औकात पुलिसिया कॉकटेल से काफी बढ़ी हुई थी । किसी थाने ने कोई गाड़ी पकड़ ली, तो उसके मुस्‍टंड थाने पहुंच जाते थे । 13 जनवरी की डेहरी की घटना के बाद तो एसपी मानवजीत सिंह ढिल्‍लो को सीधा दखल देना पड़ा था । तब आशुतोष सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई और धमकाने गए शख्‍स को गिरफ्तार किया गया था ।

 

हाईकोर्ट ने दी थी जमानत

माफिया को धंधा चलाने को सीधा पुलिस संरक्षण भी प्राप्‍त था । मददगार डीआईजी और दूसरे फोन पर धंधा तो गपियाते ही थे, पर सुरक्षा-संरक्षा को आशुतोष सिंह को सरकारी बाडीगार्ड भी दे दिया गया था । अब इन सरकारी बंदूकधारियों की वापसी हुई है । रोहतास का माइनिंग माफिया प्रारंभ से राजनीतिक संरक्षण प्राप्‍त रहा है । पूर्व में जब मनु महाराज रोहतास के एसपी थे, तब उन्‍होंने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष गोपाल नारायण सिंह को सीधे तौर पर लिप्‍त पाया था । दर्ज मुकदमे के बाद गिरफ्तारी से बचने को वे काफी दिनों तक भूमिगत रहे थे । फिर पटना हाई कोर्ट से जमानत मिली थी ।

 

लांडे के लेटर बम में जीटी रोड के परमिट माफिया से 1800 करोड़ रुपये के राजस्‍व नुकसान का गणित बिलकुल साफ है । 27 सितंबर को जीटी रोड पर करीब 500 ट्रकों से 71.44 लाख रुपये का अतिरिक्‍त राजस्‍व प्राप्‍त किया गया था । नवंबर में कोई 1.1 लाख ट्रकें जीटी रोड से उत्‍तर प्रदेश की सीमा में इंटर हुई थी । इस तरह संभावित राजस्‍व की चोरी करीब 1800 करोड़ रुपये सालाना तक पहुंच जाती है । आने वाले दिनों में माइनिंग और रोड परमिट माफिया की खबरों में और कई नए खुलासे तय मानिए ।

 

(ज्ञानेश्‍वर, वरिष्‍ठ पत्रकार की साईट से साभार- sampoornakranti )

 

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