उर्दू शायरी को ग्लोबल रीच देने के लिए यूट्यूब पर ‘आबरू ए ग़ज़ल’ चैनल लांच किया किया गया है.

आबरू ए ग़ज़ल
आबरू ए ग़ज़ल तबस्सुम फातिमा का पुराना ख्वाब
फिल्म निर्माता व पत्रकार तबस्सुम फातिमा और फिल्म निर्माता अवनीश राजवंशी ने  इस चैनल की शुरुआत की है.
आबरू एग़ज़ल के नाम से इस यूट्यूब चैनल पर दुनिया के अज़ीम उर्दू शायरों की चुनिंदा गज़लें देखी और सुनी जा सकती हैं. इस के तहत अलग-अलग कलाकारों का सहारा लिया जायेगा जो इन गजलों को प्रस्तुत करेंगे.
तबस्सुम फातिमा ने बताया कि उर्दू शायरी को सारी दुनिया में पहुंचाने के लिए यूट्यूब से लेकर अमेज़न और नेट फ्लेक्स तक का सहारा लेना होगा. जबकि डा. अवनीश चंद्रवंशी ने कहा कि ग़ज़ल उर्दू का भविष्य है और ‘आबरू ए ग़ज़ल’ मेरा बरसों पुराना एक ख्वाब है.
 
फिलहाल इस सीरीज के तहत शाह हातिम, मिर्जा जाने जाना , वली दक्कनी से लेकर ग़ालिब , मीर तक़ी मीर, मोमिन खान मोमिन , नासिख़ , जिगर , फानी बदायुनी , अल्लामा इक़बाल , फैज़ अहमद फैज़ , जोश मलीहाबादी और परवीन शाकिर तक इस कार्यक्रम में 52 शायरों को रखा गया है. आने वाले वक्त में इस सीरीज में संभव है कि कुछ और नाम भी जुड़ जायेंगे.
उर्दू ग़ज़लों के इस प्रोग्राम में उर्दू शायरी से प्यार करने वाले अपने प्रिय कवियों का पूरा परिचय भी प्राप्त करेंगे और देश के मशहूर सिंगर द्वारा गायी गयी ग़ज़लों का आनंद भी उठा सकेंगे ।
तबस्सुम फातिमा ने इस चैनल की लॉंचिंग के वक्त कहा कि उर्दू ग़ज़लों की लोकप्रियता को देखते हुए जब हमने ग़ज़लों पर आधारित कार्यक्रम आबरू ए ग़ज़ल बनाने का इरादा किया तो उम्मीद नहीं थी कि कुछ अच्छे परिणाम सामने आएंगे। लेकिन उस समय हमारे आश्चर्य की सीमा नहीं रही जब परिणाम उम्मीद से कहीं ज्यादा आए। यह उर्दू की लोकप्रियता है।
 निर्माता निर्देशक तबस्सुम फातिमा ने कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद मिलने वाली लोकप्रियता का जिक्र करते हुए बताया कि विदेशों से भी संदेश आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। जो हमारे प्रोग्राम की लोकप्रियता का सबूत है.
फिल्म मेकर अवनीश राजवंशी ने उर्दू का जिक्र करते हुए बताया कि इस मीठी भाषा को आज भी कुछ लोग मुसलमानों की भाषा कहकर उसका दायरा सीमित कर देते हैं।इसलिए कार्यक्रम के साथ ऐसे प्रोमो भी लॉन्च किए गए जिसमें यह बताने की कोशिश की गयी है कि उर्दू समूचे भारत की भाषा है. इस पर किसी एक समुदाय का हक़ नहीं। अवनीश राजवंशी ने आगे बताया कि यह पहला यूट्यूब प्रोग्राम है जिसमें कठिन शब्दों के अर्थ भी दिए गए हैं और साथ ही रोमन और हिंदी में हर शेर को सही उच्चारण के साथ भी फोकस में रखा गया है, ताकि किसी को शेर के अर्थ समझने में कठिनाई न हो .  उन्हहोंने कहा कि यह अनुभव सफल रहता है तो नयी पीढ़ी की कविता को भी हम प्रोग्राम में शामिल करने की व्यवस्था करेंगे.
लेखक एवं निर्शदेशक मुशर्रफ आलम ज़ौकी ने बताया कि अब यह उर्दू शायरी पसंद करने वाले दर्शकों पर है कि वे हमारी कोशिश को कितना स्वीकार करते हैं. हम उनसे आग्रह करेंगे कि वे हमारे कार्यक्रम देखें. जल्द ही हम इस कार्यक्रम को नेट फ्लेक्स जैसे चैनलों पर भी लाने के बारे में बातचीत कर रहे हैं.
तबस्सुम फातिमा के अनुसार, हम ने एक बड़ा सपना देखा है .उर्दू शाइरी को घर घर पहचाना है और यह काम बेहतर अंदाज़ से हमारा यह प्रोग्राम कर सकता है.यह कार्यक्रम यूट्यूब https://youtu.be/m5ctF6zNT1c लिंक पर देखा जा सकता है।

By Editor