मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव धर्मेंद्र सिंह गंगवार। चुनाव वर्ष में उनकी भूमिका अहम हो गयी है। प्रशासनिक कामकाज के साथ राजनीतिक मामलों में सीएम के साथ समन्‍वय बनाकर काम करना बड़ी चुनौती है। राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि क्‍या डीएस गंगवार नीतीश कुमार के पूर्व प्रधान सचिव रामचंद्र प्रसाद सिंह जैसे प्रशासनिक और राजनीतिक मामलों में हस्‍तक्षेप कर सकते हैं।

PATNA  CM  SECRETARIAT  MEIN   BIHAR  RAJ  ABHILEKHAGAR  NIDESHALAY  DUARA  PERKASHI  SODH  PATRIKA KA VOMOCHAN  KERTE  C M  NITISH  KUMAR.

वीरेंद्र यादव

 

डीएस गंगवार और आरसीपी सिंह में पहली समानता यह है कि दोनों नीतीश के स्‍वजातीय हैं। दूसरी समानता है कि दोनों मिलनसार स्‍वभाव के हैं। दोनों में कई अंतर भी हैं। बिहार के होने के कारण आरसीपी सिंह की राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा भी रही है। यही वजह थी कि वह राज्‍यसभा तक पहुंच गए। जबकि डीएस गंगवार की ऐसी कोई महत्‍वाकांक्षा नहीं है। आरसीपी सिंह के सामाजिक सरोकार और सोशल कंटैक्‍ट बड़ा व्‍यापक था, जबकि डीएस गंगवार इस मामले में हल्‍के पड़ते हैं। इसकी वजह यह मानी जा सकती है कि वह बिहार के नहीं है।

 

अपनी-अपनी सीमाएं

आरसीपी सिंह के दौर में नीतीश कुमार के साथ भाजपा थी और केंद्र में प्रशासनिक अधिकारियों की मजबूत लॉबी आरसीपी के साथ थी। इस कारण बहुत सारे काम आसानी से निकल जाते थे। भाजपा व जदयू के साथ होने से राजनीतिक की राह काफी आसान थी। लेकिन स्थिति अब बिल्‍कुल बदल चुकी है। डीएस गंगवार एक अच्‍छे प्रशासक हो सकते हैं, लेकिन एक अच्‍छे मैनेजर की उनकी छवि नहीं है। इस वजह से सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर उनकी कई सीमाएं आड़े आ जाती हैं। फिर उनको नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह की पसंद-नापसंद का ख्‍याल रखना पड़ता है। इन सबके बावजूद सीएम के पीएस के रूप में श्री गंगवार को बिहार की सामाजिक बनावट और जातीय अपेक्षाओं को करीब से जानना और समझना होगा। तभी सामाजिक और राजनीतिक जरूरतों को साध सकेंगे। साथ ही आरसीपी सिंह की छाया और आवरण से बाहर निकल पाएंगे।

(तस्‍वीर में नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह और डीएस गंगवार नजर आ रहे हैं।)

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