सुपौल के पिपरा थाने के तत्कालीनी सब इंस्पेक्टर आर्ति कुमारी और उनके अन्य सहयोगियों को दो लोगों को झूठे आर्म्स ऐक्ट में फंसा कर जेल भेजने के कारण अदलत में चार्जशीट दायर की गयी है.

प्रतीकात्मक फोटो
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बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद इन पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. आयोग के इस हस्तक्षेप के बाद 56 दिनों तक जेल में बंद रहे मोहन लाल मंडल और रवींद्र राम ने राहत की सांस ली है.

इन दोनों को सितम्बर 2011 में जेल में डाला गया था. तब से इस मामले में जांच चल रही थी. और अब जाकर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है.

पिपरा थाने की तत्कालीन  थानाध्यक्ष, सबइंस्पेक्टर आर्ति कुमारी जायसवाल, एसआई शंभु कुमार और एएसआई बृज किशोर सिंह के खिलाफ जांच में पाया गया कि इन अफसरों ने लाल मोहन मंडल और रवींद्र राम को गैर कानूनी हथियार रखने के झूठे मामले में फंसा कर गिरफ्तार कर लिया था. इस कारण इन्हें 56 दिनों तक जेल में रहना पड़ा.

लम्बा संघर्ष

इस मामले में मोहन लाल मंडल और रवींद्र राम को तीन सालों तक लम्बा संघर्ष करना पड़ा. इसमें ह्युमेन राइट कमीशन ने उनके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभयी.

राज्य आयोग के कड़े रुख के कारण न सिर्फ इन अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है बल्कि उनके खिलफ दो-दो ब्लैक मार्क्स लगाने के अलावा उनमें प्रत्येक को तीस-तीस हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है.

दूसरी तरफ मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग के सदस्य नीलमणि ने निर्देश दिया है कि विभागीय जांच में दोषी पायी गयी आर्ति कुमारी व अन्य अफसरों के केस को स्पीडी ट्रायल के जरिये सुनवाई की जाये.

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