आसमान में उड़ल तिरंगा/ एक्कर शान कहल नहि जाय/ 

अंगिका के ऋषितुल्य साधककवि थे डा नरेश पाण्डेय चकोर 

जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ लोकभाषा कविसम्मेलन

पटना,३ जनवरी। अंगिका भाषा और साहित्य के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्योक्षावर करने वाले कवि डा नरेश पाण्डेय चकोरकोमल भावनाओं से युक्त एक रशितुल्य भक्त कवि और साहित्यकार थे। अंगिका में उनका प्राण बसता था। डेढ़ सौ से अधिक छोटीबड़ी पुस्तकों से उन्होंने अंगिकाका भंडार भरा। उनकी भावपूर्ण रचनाएँ और काव्यपाठ की शैली दिव्यआनंद प्रदान करने वाली हुआ करती थी। भक्तिकाव्य पढ़तेपढ़ते वे झूमनेनाचने लगते थे। 

यह बातें आज यहां बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन मेंडा चकोर की जयंती पर आयोजित समारोह और कविसम्मेलन की अध्यक्षता करते हुएसम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा किचकोर जी मृदुभावों के आदर्श कवि थे। कविता उनके संपूर्ण व्यक्तित्व में समाहित थी। उन्हें देख कर हीं समझा जा सकता था कि कोई कवि आ रहा है।

अतिथियों का स्वागत करते हुएसम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा किचकोर जी जीवनपर्यन्तअंगिका‘ के लिए जीतेमरते रहे। अपने जन्मदिवस कोअंगिकामहोत्सवके रूप में मनाते थे। अंगिका में प्रकाशित पुस्तकों और पत्रिकाओं की प्रदर्शनी लगाया करते थे। अंगिका के लिए उनके मन में जितना समर्पण अंगिका के लिए थाउससे काम हिन्दी के लिए नहीं था। वे अंगिका‘ की उन्नति चाहते थे, ‘हिन्दीके मूल्य पर नहीं।

चकोर जी के पुत्र शशिशेखर पाण्डेय,इन्दुशेखरविधु शेखर पाण्डेयडा नागेश्वर यादवश्रीकांत सत्यदर्शीडा सरिता सुहावनीराजेंद्र प्रसाद सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

इस अवसर पर आयोजित लोकभाषा कविसम्मेलन का आरंभ कवयित्री चंदा मिश्र ने मैथिली में विद्यापति देवीवंदनाजयजय भैरवि असुर भायाऊनी‘ का सस्वर पाठ कर किया। कवि जय प्रकाश पुजारी ने मगही मेंरेशमाचूहड़मलकी लोकगाथा सुनाते हुए कहा कि, “तोहूँ तो लगमें रेशमाधर्म के बहिनियाँ गेहम हिला तोर धर्म भाई नु”

सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने भोजपुरी में श्रींगार का यह गीत कि, “सरद के लहंगा लहराइलबेलबूटा अस लहंगा में कोहरा धूप समाइल/आ गतरेगतरे खेतबधार में पीयर फूल फुलाइल” सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। अंगिका में अपनी रचना पढ़ते हुएवरिष्ठ कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय प्रकाशने कहा कि, “बल्हौ क की बात करै छ झुट्ठे क़सम खायखाय कथी ल झुट्ठे मरै छ

आचार्य आनंद किशोर शास्त्री नेबज्जिका‘ में ओज की कविता पढ़ी और अपने अंदाज़ से उत्साह और राष्ट्रीयता के भाव का संचार किया। उनकी पंक्तियों आसमान में उड़ल तिरंगाएक्कर शान कहल नहि जायगड़ल हिमालय के मस्तक पर लागल फररफरर फहरायपर ख़ूब तालियाँ बजी।

वरिष्ठ कवि रमण शांडिल्यराज कुमार प्रेमीऋषिकेश पाठकसुनील कुमार दूबेडा विनय कुमार विष्णुपुरीडा आर प्रवेशपल्लवी विश्वासशुभचंद्र सिन्हासुभाष चंद्र किंकरकामेश्वर कैमुरीसरिता मंडल,अश्विनी कुमार कविराजऔर इरशाद फ़तह ने भी लोकरचनाओं का आकर्षक पाठ किया। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवादज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

By Editor