वह इकत्तीस अक्टूबर की ही सुबह थी. प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी हलके नारंगी रंग की साड़ी में आवास से बाहर की ओर कदम बढ़ाती हैं। फिर अपने ही सुरक्षा में तैनात प्रहरियों का निशाना बनती हैं। पढ़ें पल-पल की घटनाindira

नवीन कुमार

प्रात:तक़रीबन 10.15  बजे का समय राम मनोहर लोहिया अस्पताल में स्ट्रेचर पर 21 साल का एक युवक

सतवंत सिंह  लेटा हुआ था , उसे गोली लगी थी , वो रह रहकर कह रहा था  – “शेर वालां काम कित्ता , मैं उना नु मार दित्ता “। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसी स्याह घटना हुयी जब किसी रेडिकल मूवमेंट के चपेट में प्रधानमंत्री की जान आ गयी थी ।
9.30 बजे प्रातः का समय निर्धारित था ब्रिटिश टेलीविजन एंकर पीटर उस्तीनोव के साथ इंटरव्यू का। हेयर ड्रेसर इंदिरा गाँधी के बालों को इंटरव्यू के लिहाज से संवार रही थी। शाम में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय, राजकुमारी ऐनी और उनके कुछ परिजन जो भारत भ्रमण पर थे ,

को दावत पर बुलाया गया था। मेहमानों की सूचीमें कुछ नये नाम जोड़ने के लिए आर के धवन को इंदिरा हिदायत भी दे रहीं थीं।

तैयार होकर अपने आवास 1 सफदरजंग रोड से सटे हुए प्रधानमंत्री कार्यालय 1 अकबर रोड को वह हल्के नारंगी रंग की साड़ी , काली सैंडल और कपड़े का  लाल रंग का  बैग हाथ में लिये पैदल ही निकल पड़ती हैं। हेड कॉन्स्टेबल नारायण सिंह छाता लिये है और धवन थोड़े दूरी से पीछे-पीछे । जो भी सुरक्षा गार्ड रास्ते में आता हाथ जोड़कर इंदिरा उन्हें नमस्ते करते हुये आगे बढ़ती हैं ।

तभी गेट के दूसरी तरफ से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात बेअंत सिंह  गोलियाँ चलाता है। इंदिरा गाँधी   ज़मीन पर गिर जाती हैं और फिर सतवंत सिंह स्टेन गन से गोलियाँ बरसाता है । गोलियों की आवाज़ सुनकर सोनिया गाँधी आवास से दौड़ती हुई आती हैं । ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आर ओपे एम्बुलेंस के ड्राइवर को बुलाने   को कहते हैं पर ड्राइवर मिलता नहीं। स्टाफ कार में ही इंदिरा गाँधी को लिटाकर रखा जाता है सिर सोनिया अपनी गोद में रख लेती हैं और मिनटों में एम्स में वरीय डॉक्टरों कोभागते देखा जाता है।

 

राजीव पश्चिम बंगाल में

राजीव गाँधी कलकत्ता से 150 किलोमीटर दूर कोन्ताई  पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में होते हैं , खबर मिलते ही हेलिकॉप्टर के इंतज़ार में कोलाघाट आ जाते हैं जो कि  उन्हें कलकत्ता एयरपोर्ट तक छोड़े । कलकत्ता से आनेवाली यात्री विमान सेवा रद्द कर दी जाती है और बोइंग 737 राजीव गाँधी को तक़रीबन  10 लोगों के साथ  लेकर दिल्ली के लिये उड़ान भरता है। जिनमें प्रणब मुखर्जी , बलराम जाखर तत्कालीन अध्यक्ष लोक सभा , उमा शंकर दीक्षित तत्कालीन राज्यपाल पस्चिम बंगाल और उनकी बहू शीला दीक्षित भी  होते  हैं।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सतवंत सिंह के पेट से 4 गोलियाँ बाहर कर दी जाती है। अब वो सुरक्षित होता है। उसका साथी बेअंत सिंह हमले के  दौरान सुरक्षा बल के काउंटर फायरिंग में घटना स्थल पर ही दम तोड़ देता है। इधर एम्स में उम्मीद  की लौ धीरे धीरे क्षीण होती दिखती  है। अस्पताल में मौजूद ख़ून की 60 बोतलों में से तक़रीबन 40 बोतलें प्रधानमंत्री के शरीर में डालने के बाद भी उनके  लंग्स , लीवर और किडनी से लगातार हो रहे तीव्र रक्तस्राव को रोकने में कोई सफलता मिलती नहीं दिखती। शरीर में कुल 30 बुलेट धंसे  थे।

 

मीडिया से एहतियात
एहतियाती तौर पर ख़बर को मीडिया तक पहुँचने से रोकने की पुरज़ोर कोशिश सुबह से ही होती है। दूरदर्शन के कर्मियों को एम्स की हर गतिविधि पर व्यक्तिगत तौर पर जानकारी मिल रही होती  है। और तो और दिल्ली में ये बात तेजी से फ़ैल रही होती है , फिर भी दूरदर्शन अपने 8 बजे सायं के समाचार में बस आधी ख़बर ही देता है।

समाचार वाचिका सलमा सुल्तान प्रधानमंत्री पर जानलेवा हमला और उनकी जान को ख़तरा बताती हैं। लेकिन बी बी सी संवाददाता सतीश जैकब को घटना के तुरन्त बाद उनका एक मित्र फ़ोन पर बताता है कि उसने 1 सफदरजंग के बाहर कोई बड़ी घटना सूचक गतिविधि देखी है। जैकब विन्सेंट जॉर्ज को फोन पर पूछते हैं “कैसे हुआ ये सब ” . जॉर्ज जैकब की तरक़ीब पकड़ नहीं पाते उन्हें लगता जैसे कि जैकब को पूरी ख़बर है। विन्सेंट जॉर्ज बताते हैं प्रधानमंत्री पर जानलेवा हमला हुआ है और वो एम्स में हैं। ख़बर सुनकर जैकब हैरान रह जाते हैं और मिनटों में एम्स पहुँचकर ख़बर पुख़्ता करते हैं। 10 बजे प्रातः का ट्रंक कॉल अपने हेड ऑफिस लंदन के लिए बुक करते हैं। और हमले की पहली ख़बर भारतवासी बी बी सी के  न्यूज़ बुलेटिन में सुनते हैं।

 

राजीव ने कहा सबकुछ खत्म हो गया
कलकत्ता से राजीव गाँधी को  लेकर उड़े  जहाज में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप सेक्रेटरी जनरल लोक सभा भी होते हैं। बलराम जाखड़ उनसे कहते हैं कि आप राजीव गाँधी को जानकारी दें कि प्रधानमंत्री की कुर्सी अब उन्हें सम्भालनी होगी । इस से जुड़े संविधान के प्रावधानों से उन्हें अवगत कराएँ। लेकिन राजीव इस बात पर फिलहाल ध्यान नहीं देना चाह रहे थे , वे राज्यपाल उमाशंकर दीक्षित से कहते हैं – आप ही इस मसले को समझ लें। जहाज में चढ़ने के साथ ही राजीव कॉकपिट में हिदायत देते हैं कि आप नीचे की ख़बर से लगातार जुड़े रहें। उड़ान के क्रम में बार बार कॉकपिट में आते हैं और ख़बर लेने की कोशिश करते हैं।

एम्स में मुस्तैद बी बी सी संवाददाता सतीश जैकब ठीक 12 बजे दोपहर  प्रधानमंत्री के देहांत की ख़बर अपने मुख्य कार्यालय लंदन भेज देते हैं लेकिन इतनी बड़ी ख़बर को अन्य सूत्रों से आश्वस्त हुए बिना बी बी सी आगे नहीं बढ़ाना चाहता। 1 बजे अपराह्न के न्यूज़ बुलेटिन मेंबी बी सी भारत के प्रधानमंत्री के मृत्यु की ख़बर चला देता है। थोड़ी थोड़ी देर पर कॉकपिट आ रहे राजीव को भी ख़बर मिल जाती है। राजीव कॉकपिट से निकलकर सीधे  जहाज़ के पिछले हिस्से के वाशरूम में जाते हैं , वहाँ  थोड़ी देर रुकते हैं। चेहरा पानी से धोकर अपने सीट पर लौटते हैं और बस इतना ही कह पाते हैं – “सब कुछ ख़त्म हो गया ” !

 

मौत की खबर, फिर दंगा शुरू
एम्स से ख़बर निकलते ही वहाँ का क्षेत्र किदवई नगर और प्रधानमंत्री आवास 1 सफदरजंग से सटे क्षेत्र में भारी तोड़ फोड़ शुरू हो जाता है । थोड़ी ही देर में कनॉट प्लेस पर भी नारे लगाते आक्रोशित लोग देखे जाते हैं। शाम होते होते मानकपुरा चौक करोल बाग़ पर जिधर नज़र घुमाएँ बस ऊँचा उठ रहा धूएँ का गुबार  ही चारों तरफ दिखाई पड़ता है। दंगा दिल्ली की सूरत बदल कर रख देता है । दंगों की जाँच के लिए वेद मारवाह को एडिसनल कमिसनर ऑफ़ पुलिस दिल्ली बनाया जाता है। मारवाह अपनी जाँच रिपोर्ट में सिख समुदाय के 3000  लोगों के मरने की पुष्टि करते हैं। मारवाह रिपोर्ट में लिखते हैं -” देश विभाजन के समय के दंगा से कहीं अधिक भयावह था यह दंगा “

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