जब 25 वर्ष की मिसबाह कादरी मुम्बई पहुंचीं तो उनके सपने थे कि वह मिलीजुली संस्कृति का हिस्सा बनेंगी.  लेकिन उन्हें सिर्फ इसलिए फ्लैट से  निकाल दिया गया कि वह मुस्लिम हैं.

मिसबाह कम्युनिकेशन प्रोफेशनल हैं
मिसबाह कम्युनिकेशन प्रोफेशनल हैं

अब मिसबाह नेशनल ह्युमेन राइट्स कमीशन के शरण में हैं.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात की मिस्बाह कादरी ने आरोप लगाया है कि उन्‍हें मुंबई की एक हाउसिंग सोसायटी ने फ्लैट से  मुस्लिम होने के चलते निकाल दिया। कादरी ने बुधवार को राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग से इसकी शिकायत की है। सोसायटी ने आरोप को गलत बताया है।

हाला ही में हरिकृष्ण हीरा कम्पनी ने एक मुस्लिम युवा को इसलिए नौकरी नहीं दी कि वह मुस्लिम है.

मिस्‍बाह का आरोप

25 साल की कम्युनिकेशंस प्रोफेशनल मिस्बाह का कहना है, ” पिछले दिनों मैं वडाला ईस्ट में एक प्लैट में रहने गई। जब वहां की सोसाइटी को पता चला कि मैं मुस्लिम हूं तो मुझे एक हफ्ते के भीतर ही निकाल दिया गया।”

आरोप से इनकार
जिस सांघवी हाइट्स सोसाइटी पर आरोप लगा है उसके सुपरवाइजर राजेश ने कहा, ”फ्लैट से निकाले जाने का कारण ब्रोकर और टेनेंट के बीच का विवाद है। बिल्डिंग में मुस्लिमों को रहने दिया जाता है, कई परिवार रहते हैं।

महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य गुलजार आजमी ने इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, ” इससे पहेल मुंबई में कभी ऐसा नहीं होता था। जब से नई सरकार बनी है और हिंदूवादी संगठन सक्रिय हुए हैं तब से ऐसा हो रहा है।

By Editor

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