सरकार राज्‍य में औद्योगिकी माहौल बनाने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योग कैबिनेट का गठन करेगी। इसकी मंजूरी मंगलवार को कैबिनेट ने प्रदान कर दी। कैबिनेट सचिव ने बताया कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई मूलभूत सुविधाओं की जरूरत पड़ती है, जो विभिन्‍न विभागों से जुड़े होते हैं। इन जरूरतों को एकसाथ एक ही जगह पर उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था की जाएगी। यही वजह है कि उद्योग कैबिनेट में कई विभागों को जोड़ा गया है, ताकि आपस में समन्‍वय बनाकर कार्य किया जा सके।

 

बिहार में उद्योग कैबिनेट बनाने का प्रस्‍ताव पहले से ही था, जिसे अब मंजूरी मिल गयी है। इसके अध्‍यक्ष खुद मुख्‍यमंत्री होंगे, जबकि इसका नोडल एजेंसी उद्योग विभाग होगा। यह विभिन्‍न विभागों के बीच समन्‍वय कर के नियमों और नीतियों के संबंध में सुझाव देगा। नीतियों में संशोधन और परिमार्जन के संबंध भी परामर्श देगा। लेकिन सवाल यह है कि क्‍या इस कवायद के बाद भी राज्‍य में औद्योगिक माहौल बन पाएगा।

 

आम धारणा है कि यह विभाग मृतप्राय ही है। पूंजी निवेश की कवायद और दावों के बीच अपेक्षित पूंजी का निवेश बिहार में नहीं हो पाया और न औद्योगिक विकास का माहौल बन पाया। उद्योग के नाम पर भूमि का कारोबार भले बढ़ गया हो, सस्‍ते में भूमि बांट दी गयी हो, लेकिन उद्योग के प्रोत्‍साहन की कोई व्‍यापक पहल नहीं की गयी। अभी हाल में नई दिल्‍ली में निवेशकों के एक सम्‍मेलन में उद्योग मंत्री भीम सिंह ने राज्‍य में औद्योगिक विकास के लिए माहौल के संबंध में जानकारी दी और निवेश के लिए आग्रह कर आए थे। निवेश से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन पूर्व में भी किया गया, लेकिन उसका कोई फलाफल सामने नहीं आया।

अब देखना है कि उद्योग कैबिनेट इन परिस्थितियों में बदलाव में कौन सा कदम उठाता है। कृषि कैबिनेट ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिससे लगे कि कृषि के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय प्रगति हुई है। इसलिए उद्योग कैबिनेट को विशेष पहल करनी होगी।

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