केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने ‘खीर पॉलिटिक्स’ पर सफाई दी है लेकिन इसके बावजूद भाजपा के रणनीतिकारों कीधड़कने कम नहीं हुई हैं.

Upendra Kushwaha, Kheer politics
उपेंद्र कुशवाहा की खीर पालिटिक्स से गरमाई सियासत
कुशवाहा ने कहा  कि मेरे बयानों को किसी जाति या पार्टी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. मैंने सामाजिक एकता की बात कही थी. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ना तो मैंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से दूध मांगा और ना ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से चीनी.
दर असल उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों बीपी मंडल की जयंती के अवसर पर  कहा था कि युदवंशियों (यादव) का दूध, कुशवंशियों (कोइरी) का चावल से जो खीर बने और सब मिलकर प्रेम से खाएं. किसी को हिस्से से ज्यादा या किसी को कम नहीं मेले. यही समाजिक न्याय है.’
इस बयान को विश्लेषकों ने राजद से उनकी बढ़ती नजदीकी के रूप में देखा. उधर उनके इस बयान के बाद तेजस्वी यादव ने भी इशारों में उन्हें राजद गठबंधन का हिस्सा बनने की बात कह दी.
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहते हुए भाजपा की की कई नीतियों का विरोध करते रहे हैं. इतना ही नहीं वह एनडीए के घटक दल जदयू और उसके नेता नीतीश कुमार की शिक्षा पालिसी की भी आलोचना करते रहे हैं.
हालांकि कुशवाहा ने सफाई देते हुए कहा कि हम तो सभी को एनडीए के साथ लाकर 2019 में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं लेकिन उनके बयानों से साफ होता है कि वह भाजपा पर प्रेसर बनाने की राजनीति कर रहे हैं.

उपेंद्र कुशवाहा की तेजस्वी कर चुके हैं तारीफ

 
 
उन्होंने कहा कि किसी जाति को दल विशेष से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि आरएलएसपी मजबूत होगी तो, एनडीए मजबूत होगा और एनडीए मजबूत होगा तो 2019 में नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे.
 
 
दरअसल उपेंद्र कुशवाहा ने वीपी मंडल की 100वीं जयंती पर कहा था कि एक अच्छी खीर तभी बन सकती है, जब उसमें यादवों का दूध हो और कुशवाहा के चावल हों. इस बयान के जरिए उन्होंने इशारा कर दिया था कि वह आने वाले चुनावों में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं. 

By Editor