लोकतांत्रिक जनता दल प्रमुख शरद यादव ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा के इस्तीफा देने के एक दिन बाद कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश की सभी स्वतंत्र एजेंसियों को ध्वस्त करना चाहती है।

श्री यादव ने जारी एक बयान में कहा कि श्री वर्मा को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, जिससे पता चलता है कि मोदी सरकार इन एजेंसियों पर लगातार दबाव बनाती रही है। उन्होंने कहा कि जब श्री वर्मा ने इस दबाव में काम करने से इनकार किया तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लोजद नेता ने कहा कि यह देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए बड़े हादसे की तरह है। केंद्र की मौजूदा सरकार सभी स्वतंत्र एजेंसियों को ध्वस्त कर रही है और अधिकारी भय के माहौल में काम कर रहे हैं। देश की इस तानाशाह सरकार को भंग कर दिया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जनता से किये वादों को पूरा नहीं किया है, जिसके कारण लोग उसे जरूर सबक सिखाएंगे।

यादव ने कहा कि सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने सभी को यहां तक कि स्वतंत्र एजेंसियों को ध्वस्त कर ही जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रवैया देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
लोजद नेता ने कहा, “देश की जनता श्री वर्मा को आधी रात को सीबीआई के निदेशक पद से हटाने की सरकार की इस कार्रवाई के पीछे के रहस्य को जानना चाहती है। श्री वर्मा ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें छुट्टी पर नहीं भेजा जाना चाहिए था।”

श्री यादव ने कहा कि मुख्य सतर्कता आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि श्री वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं पाये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की कहानी यह है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में हुई गड़बड़ी की जांच श्री वर्मा करने वाले थे। इस डर से मोदी सरकार ने उन्हें सीबीआई के पद से हटाकर अग्निसमन सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं होमगार्ड का महानिदेशक बनाया था।

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