राजद से गठबंधन तोड़ने का जद यू पर पड़ा आफ्टर एफ्फेक्ट अब साफ दिखने लगा है. शरद यादव के गर्म तेवर को ठंडा कर पाने में जनता दल यू की कोशिशे काम नहीं आ रही हैं.

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

उधर उनके तेवर को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने साफ कर दिया है कि उनका बिहार दौरा पार्टी के फैसले के खिलाफ है. वशिष्ठ नारायण के इस बयान से अब साफ हो गया है कि शरद यादव अलग राह अपनाने के अपने फैसले से डिगने वाले नहीं हैं.

याद रहे कि राजद से अलग होने के फैसले पर शरद यादव व अली अनवर समेत राज्य सभा के तीन सांसदों ने अपनी असहमति पहले ही जात दी थी. ऐसे में अब सवाल यह है कि जद यू क्या टूटने वाला है? तकनीकी तौर पर भले ही इसे जद यू के टूटना नहीं माना जाये, क्योंकि उसका विधायक दल पूरी तरह से नीतीश कुमार के साथ है. लेकिन जहां तक संगठन और कार्यकर्ताओं की बात है, अब साफ हो चला है कि जद यू में सब कुछ ठीक नहीं है.

महासचिव अरुण का मामला

इस बीच जद यू के राष्ट्रीय महासचिव  अरूण श्रीवास्तव के कार्यक्लाप ने भी इस ओर इशारा कर दिया है कि अब जद यू का एक धड़ा, राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं है. इस बात को तब और बल मिला जब कल श्रीवास्तव को राष्ट्रीय महासचिव अरूण श्रीवास्तव को उनके पद से हटाने की पुष्टि केसी त्यागी ने कर दी.  अरुण श्रीवास्तव पर त्यागी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने गुजरात राज्य सभा चुनाव के लिए एजेंट नियुक्त किया था, जो पार्टी के स्टैंड के खिलाफ था.

उधर जद यू में चल रहे इस विद्रोह पर राजद की पैनी नजर है. इतना ही नहीं उसने अपनी पूरी मशीनरी शरद यादव के समर्थन में झोंक रखी है. शरद मधेपुरा समेत अन्य जिलों के दौरे पर जाने वाले हैं. राजद ने उनका जोरदार समर्थन करने के लिए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देश दे रखा है. इस मामले में ध्यान रखने की बात यह है कि अगले 27 अगस्त को राजद की गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में शरद यादव शामिल हो सकते हैं. जो, जाहिर है कि जद यू को गवारा नहीं होगा. ऐसे में जद यू में औपचारिक बिखराव 27 अगस्त तक हो जाना, अब टालना असंभव होता जा रहा है.

यह याद रखने की बात है कि शरद यादव जनता दल यू के न सिर्फ कद्दावर नेता हैं बल्कि जार्ज फर्नांडिस के साथ( जद यू , समता) के संस्थापकों में से एक रहे हैं और नीतीश कुमार से पहले तक वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. लेकिन बदलते समय के साथ, जॉर्ज की तरह शरद यादव भी अपनी ही पार्टी में हाशिये पर पहुंचा जा चुके हैं.

By Editor