नौकरशाह से राजनेता बने एनके सिंह की चुप्पी का अर्थ क्या है, नीतीश के अघोषित व निजी प्रचार मंत्री को यह आभास भी नहीं था कि अचानक राज्य सभा का टिकट काट कर उनके साथ इतना कठोर व्यवहार किया जायेगा .

एनके सिंह: यह कैसा सिला है?
एनके सिंह: यह कैसा सिला है?

इर्शादुल हक

2005 में बिहार का सिंहासन संभालने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जो सबसे पहला काम करना था वह था बिहार और उसके नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री की छवि को देश दुनिया में चमकाना. यह एनके सिंह थे जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में अपने रसूख के बूते बिहार की छवि को साकारात्मक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

नौकरशाही और राजनीति के गलियारे को करीब से जानने वालों को यह पता है कि एनके सिंह ने पिछ 7-8 सालों में जितना बड़ा काम अंजाम दिया है वह काम जनता दल यू में अगर को कर सकता था तो वह सिर्फ और सिर्फ एनके सिंह थे.

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1964 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रहे एनके सिंह देश के वित्त सचिव के अलावा प्रधान मंत्री कार्यालय में सचिव जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है. वित्त और योजना विभाग में उनकी गहरी पैठ का जितना लाभ बिहार को मिला वह अपने आप में मिसाल है. इसके अलावा देश के नामी मीडिया संस्थानों के मालिकान से उनके रिश्ते का ही नतीजा रहा है कि बिहार और बिहार सरकार की छवि को उनकी बदौलत चमक मिली.

प्रभावशाली खानदान

इतना ही नही एनके सिंह भारत के उन चंद खानदानों में से एक के सदस्य हैं भारतीय नौकरशाही और राजनीति में थोक- दर थोक सक्रिय रहे हैं. पिता टीपी सिंह भी देश के वित्त सचिव रह चुके हैं जबकि मां एक राजनेता रही हैं, वहीं दूसरी तरफ भाई उदय सिंह पूर्णिया से भाजपा सांसद हैं तो तीन बहनें कृष्णा, श्यामा और राधा भी आईएएस रही हैं. जबकि बहनोई निखिल कुमार जो कुछ साल पहले तक आईपीएस अधिकारी थे और फिलहाल नागालैंड के राज्यपाल है.

ऐसे में इस हाई प्रोफाइल व्यक्ति को नीतीश कुमार ने जो मास्टर स्ट्रॉक दिया है उसकी उम्मीद एनके सिंह को जरा भी नहीं थी. विश्लेषक हिसाब लगा रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार ने एनके सिंह को दोबारा राज्यसभा का टिकट क्यों नहीं दिया? हालाकिं नीतीश चकित करने वाले राजनीतिक फैसले लेने के लिए मशहूर रहे हैं. लेकिन इससे पहले जब किंग महेंद्र को दोबार राज्यसभा में भेजा गया तो लोगों को तब आश्चर्य हुआ जब अली अनवर और अनिल साहनी को भी सिर्फ इसलिए रिपीट कर दिया गया क्योंकि किंग महेंद्र को हर हाल में राज्यसभा भेजना था.

अब जहां तक इस बार का मामाला है, जद यू ने अपने तीनों चेहरों को बदल दिया है. एक तरफ शिवानंद तिवारी, साबिर अली और एनके सिंह टिकट से वंचित कर दिये गये वहीं दूसरी तरफ कर्पूरी ठाकुर के बेटे राम नाथ ठाकुर, महिला आयोग की अध्यक्षक कहकशां परवीन और प्रभात खबर के चीफ एडिटर हरिवंश बतौर फ्रेश चेहरे राज्य सभा में भेजे जा रहे हैं.

कहा जा रहा है कि राजपूत एनके सिंह का स्थान हरिवंश को मिला है जबकि पसमांदा मुसलमान साबिर अली की जगह दूसरी पसमांदा कहकशां को भेजा गया है जबकि ब्रह्मण शिवानंद तिवारी क बदले अति पिछड़ा राम नाथ ठाकुर को जगह दी गयी है.

अभी तक एनके सिंह इस मामले में चुप हैं, लेकिन कुछ लोगों का मानना हैं लेकिन उनकी चुप्पी का क्या असर होगा आने वाले कुछ दिनों में पता चलेगा.

By Editor