झारखंड के डीजीपी ने एक मामले की तहकीकात का हुक्म दिया है जिसके बारे में बताया जाता है कि एसटीएफ ट्रेनिंग कैम्प के एसपी बी चंद्रमोहन ने कैम्प के बाहर के व्यक्ति को गुपचुप तरीके से प्रशिक्षण दिया.

विभाग के कुछ अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि गौरव अवस्थी नामक युवा को गुपचुप तरीके से बहाल करने की साजिश थी. इसलिए समझा जाता है कि चंद्रमोहन ने अपने पड़ोसी के भाई को औपचारिक बहाली के बिना प्रशिक्षण में शामिल कर लिया था.

गौरव अवस्थी ने जब डेढ़ महीने का प्रशिक्षण समाप्त कर लिया तो भांडा फूटा.

इस बीच एसपी चंद्रमोहन ने स्थानीय मीडिया के सामने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने गौरव को ट्रेनिंग दी लेकिन उनका मकसद सिर्फ यह था कि उसे फौज में बहाल होना था और उसे इसके लिए सहायता की जा रही थी. उन्होंने कहा कि उनका मकसद एक आभावग्रस्त युवा को मदद करना था ताकि अच्छे अवसर का लाभ उसे मिल सके और फौज में बहाल होने के योग्य बन सके.

विभागीय सूत्रों के अनुसार गौरव को एसटीएफ कमांडो के साथ नवंबर-दिसंबर में प्रशिक्षण दिलाने का मौका एसपी बी.चंद्रमोहन ने दिया थाइस कार्य के लिए उनको एक आला अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त था.
इसी कारण मामला बाहर नहीं आया. लेकिन वे जैसे ही विभाग से रुखसत हुए मामला प्रकाश में आ गया. चंद्रमोहन असम कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं.वर्तमान में वे एसटीएफ में प्रतिनियुक्ति पर हैं.

सूत्रों का कहना है कि गौरव अवस्थी को पुलिस में बहाल करने की योजना थी. इसी के तहत उसको एसटीएफ में गुपचुप प्रशिक्षण दिलाया गया कि भविष्य में पुलिस या सेना में उसकी बहाली हो जाएगी लेकिन बात लीक हो जाने से उसको प्रशिक्षण स्थल से हटा दिया गया.

झारखंड के डीजीपी ने मामले की जांच की जिम्मेदारी डीआईजी स्तर के एक अधिकारी को सौंप दी है.

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