एक प्रोफेशनल कॉलेज के छात्रों की इस पहल ने पारम्परिक तौर तरीकों से मनाये जाने वाली सरस्वती पूजा के सामने सकारात्मक बदलाव की एक बड़ी लकीर खीच दी है.

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नौकरशाही डेस्क

ऐसी लकीर जिसका आने वाले समय में निश्चित रूप से व्यापक प्रभाव दिख सकता है. दुर्गा या सरस्वती पूजा जैसे आयोजनों में पूरे देश में अरबों रुपये खर्च किये जाते हैं. ऐसे खर्च यकीनन हमारी समर्पण भावना का परिचायक हैं. लेकिन बीते दिन पूजा को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की जो कोशिश पटना के सिमेज कॉलेज के छात्रों ने दिखाई, यह धर्म को समाज के करीब लाने की न सिर्फ बड़ी कोशिश है बल्कि धर्म का वास्तविक उद्देश्य भी. कालेज के छात्रों ने इस पूजा को अपने शैक्षिक प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया. पूजा तो की ही साथ ही इसे वंचित बच्चों के शैक्षिक विकास से जोड़ने का अनूठा प्रयोग किया. छात्रों ने चंदे इकट्ठे किये और तय किया कि चंदे से प्राप्त राशि का कम से कम 30 प्रतिशत सामाजिक सरोकारों पर खर्च किया जायेगा. इसके लिए सिमेज मैनेजमेंट ने उन्हें प्रोत्साहित किया. सिमेज के तीन परिसरों ने इस प्रयोग को किया.

सामाजिक सरोकार

आइए देखें कि कैसे यह प्रयोग पूजा के सामाजिक सरोकार के लिए तो एक उदाहरण बना ही, साथ ही शैक्षिक प्रोजेक्ट का हिस्सा होने के कारण छात्रों में नेतृत्व, मैनेजमेंट कौशल और टीम भावना जैसे गुणों के विकास में मददगार साबित हुआ.

सिमेज के कुलहड़िया ब्रांच ने छात्रों ने अपने कुल बजट का 30 प्रतिशत वंचित समाज के बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए रखा. सिमेज के निदेशक नीरज अग्रवाल की प्रेरणा से डिजाइन किये गये इस प्रोजेक्ट में यह तय हुआ कि छात्र जितनी राशि सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए रखेंगे उतनी ही राशि मैनेजमेंट भी उन्हें देगा. इन छात्रों ने इसी बात को मद्देनजर रखते हुए आसपास के वंचित समाज के 200 छोटे बच्चों को जमा किया. अपने पूजा कार्यक्रम में उन्हें बुलाया और सभी को स्कूल बैग और पाठ्य-सामग्री बांटी. गरीब और रिसोर्सेज से वंचित उन बच्चों के उत्साह की कल्पना कीजिए कि उनके अंदर कैसी भावना जागी होगी. सिमेज के छात्रों ने यह भी तय किया कि कालेज का हर छात्र उन बच्चों को सप्ताह में एक दिन पढ़ाने की जिम्मेदारी लेगा. इन बच्चों को कम्प्युटर भी सिखाया जायेगा.

बदलाव के वाहक

इसी तरह सिमेज के राजापुल ब्रांच ने एक अलग पहल की. उन्होंने तय किया कि इलाके के वैसे छोटे बच्चे जो म्युजिक में रूची रखते हों, उनके लिए म्युजिकल इंस्ट्रूमेंट खरीदे. वीणा की देवी की परम्परा से जुड़ने के लिए सिमेज के छात्रों ने यह कोशिश की. अब ये छात्र छोटे बच्चों को म्युजिक सिखा कर उनके हुनर को तराशेंगे. यह काम वर्ष भर किया जायेगा.
इसी तरह सिमेज के बोरिंग रोड ब्रांच के छात्रों ने शिवपुरी के एक सरकारी स्कूल को अपने पूजा प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया. उन्होंने पूजा के लिए जो 60 हजार रुपये इकट्ठे किये उसमें से लगभग 24 हजार रुपये स्कूल के बच्चों के बेंच और डेस्क पर खर्च किये. सिमेज के छात्रों ने यह भी सुनिश्चित किया कि स्कूली बच्चों की पढ़ाई का स्तर बढ़े. समय-समय पर सिमेज के छात्र उन बच्चों को पढ़ायेंगे भी.

सरस्वती पूजा का आयोजन आम तौर पर छात्र करते हैं, इस उद्देश्य से कि शिक्षा की देवी उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में कामयाब करे. लेकिन सिमेज के छात्रों ने इसे खुद तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने इसे उन बच्चों तक पहुंचा दिया जो शिक्षा के प्रकाश से दूर है. पूजा को सामाजिक सरोकार से जोड़ने की इस पहल के पीछे, सिमेज के निदेशक नीरज अग्रवाल और मेघा अग्रवाल का विजन है. नीरज कहते हैं- “सरस्वती पूजा पारम्परिक तरीके से सब मनाते हैं. लेकिन हमने यह प्रयोग किया कि इसे सामाजिक सरोकार से जोड़ने की कोशिश की. चूंकि पूजा के आयोजन और उसकी तैयारियों में काफी समय लगता है इसलिए हमने इस अपने छात्रों के शैक्षिक प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया”. छात्रों ने बाजाब्ता इसके लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिखी. तमाम कामों की जिम्मेदारियों को आपस में बांटा. नीरज ने कहा कि तमाम स्कूल और कालेज सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं. वहां पूजा का सामाजिक सरोकार नहीं दिखता. लेकिन अगर शिक्षण कार्य से जुड़े तमाम संस्थान ऐसी पहल को आगे बढ़ायें तो एक साकारात्म बदलाव होगा.

इस पूरे आयोजन के दौरान उद्योगपति राजू सुलतानिया, कार्टूनिस्ट पवन, स्ट्रलाजर क्षवि कुमार, सिमेज कालेज के डीन नीरज पोद्दार और प्रोफेसर मनोरंजन यादव मौजूद रहे. अपने अपने क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों ने सिमेज कालेज की इस पहल की तारीफ तो की ही, यह भी उम्मीद जतायी कि इस पहल से अन्य स्कूलों और कालेजों के छात्र भी प्रेरणा लेंगे.

फोटो- सिमेज के निदेशक नीरज अग्रवाल गरीब परिवारों के बच्चों के बीच

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