गांधी मैदान हादसे के बाद पटना में किए गए प्रशासनिक फेरबदल में सरकार ने सामाजिक समीकरणों का खासा ख्‍याल रखा है। नीतीश कुमार के काल से पटना के प्रशासनिक महकमे में कुर्मियो की धाक बरकरार है। इस बार के फेरबदल में भी इसका ध्‍यान रखा गया है। आइजी कुंदन कृष्‍णन को भी लपेटे में लेने की कोशिश की गयी थी। इनके स्‍थानांतरण की फाइल भी बढ़ी थी, लेकिन डीजीपी ने उसे लौटा दिया था। फाइल लौटाने के संबंध में जब सीएमओ ने पूछा तो डीजीपी कार्यालय ने पूर्व मुख्‍यमंत्री के परामर्श करने की बात कही।

वीरेंद्र यादव

 

अभी पटना में पदस्‍थापित पांच शीर्ष पदाधिकारियों में दो कुर्मी हैं। आइजी कुंदन कृष्‍णन के अलावा डीआइजी उपेंद्र सिन्‍हा भी कुर्मी जाति से आते हैं। वह पटना के ग्रामीण एसपी भी रह चुके हैं। नवनियु‍क्‍त एसएसपी जीतेंद्र राणा हरियाणा के जाट बताए जाते हैं। जाट जाति पिछड़ा वर्ग में आती है। डीएम अभय कुमार सिंह उत्‍तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह 2004 बैच के आइएएस हैं और कंप्‍यूटर में इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। वह लोध जाति के बताए जाते हैं, जो बिहार की कुर्मी जाति के समान है। पटना प्रमंडल के नवनियुक्‍त प्रमंडलीय आयुक्‍त नर्मदेश्‍वर लाल अनुसूचित जाति से आते हैं। वह पटना के डीडीसी भी रह चुके हैं।

 

यह संयोग ही है कि लालू यादव के कार्यकाल में पिछड़ी जाति के आइएएस व आइपीएस अधिकारियों की संख्‍या बहुत कम थी। लेकिन 1993 से मंडल आयोग के तहत ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण के कारण इन वर्गों के अधिकारियों की संख्‍या में इजाफा हुआ। नीतीश राज आते-आते ओबीसी अधिकारियों की संख्‍या दिखने लगी और आज राजधानी पटना जैसे शहर और प्रशासनिक इकाइयों के लिए भी अनुसूचित जाति व ओबीसी अधिकारियों की कोई कमी नहीं रही।

 

 

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