दिव्यांग कर्मचारी और व्यक्तियों के प्रति विभिन्न संगठनों और संस्थानों के व्यवहार को मापने के लिए सरकार ने आज ‘समावेशी एवं सुगम्यता सूचकांक’ जारी किया। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने नई दिल्‍ली में इस सूचकांक को जारी करते हुए कहा कि समावेशी एवं सुगम्यता सूचकांक संगठनों और संस्थानों को दिव्यांगों के सहयोग और सहायता के संबंध में नीतियां तथा सांगठनिक संस्कृति तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे दिव्यांगों के अनुकूल वातावरण बना सके। 

 
श्री नायडू ने कहा कि बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने पर दिव्यांग पूरी क्षमता से काम कर सकते है। इमारतों, कार्यस्थलों, सार्वजनिक यातायात तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली में ऐसे काम किए जाने चाहिए ताकि दिव्यांग उनसे लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के प्रति असंवेदनशील मानसिकता को बदलने की जरूरत है। दिव्यांगों को ऐसा वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि वह जीवन के हर क्षेत्र में योगदान कर सकें। उन्होंने कहा कि देश की हर एक लाख आबादी में से 1,755 व्यक्ति दिव्यांग हैं। लगभग 8.40 फीसदी ग्रामीण घरों और 6.10 फीसदी शहरी घरों में कम से कम एक दिव्यांग है। उन्होंने कहा कि 47 फीसदी दिव्यांग अविवाहित रह जाते हैं और लगभग 55 फीसदी निरक्षर हैं। श्री नायडू ने कहा कि सभी सार्वजनिक इमारतों में रैम्प और विशेष शौचालय बनाने तथा लिफ्ट और ऐलिवेटर में ब्रेल-लिपि में संकेत दर्ज किए जाने चाहिए।

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