अयोध्या विध्‍वंस मामले में द्वारका पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के दावों ने नई बहस छेड़ दी है. जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भोपाल में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान दावा किया कि अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि में मस्जिद कभी थी ही नहीं. छह दिसंबर 1992 में कार सेवकों ने अयोध्या में मस्जिद नहीं तोड़ी थी, बल्कि मंदिर तोड़ा था.

नौकरशाही डेस्‍क

हालांकि उन्‍होंने  प्रेस कांफ्रेंस में देश भर में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार पर भी हमला बोला और कहा कि देश के लिए सबसे खतरनाक चीज भ्रष्टाचार है. पंच, सरपंच एवं अन्य चुनाव लड़ने से लेकर एफआईआर दर्ज कराने तक के लिए पैसा देने पड़ता है. सब जगह भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है. आज यदि किसी देश ने भारत पर हमला किया तो पैसे के लोभी उनसे भी मिल जायेंगे.

उन्‍होंने कहा कि जब मैं वर्तमान केन्द्र सरकार या प्रदेश सरकार के खिलाफ बोलता हूं, तो सीधे कह दिया जाता है कि मैं कांग्रेसी हूं. मगर मैं आज धर्माचार्य हूं. किसी शासक का मुरीद नहीं हूं. इससे पहले स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि रामजन्मभूमि में मस्जिद कभी थी ही नहीं. कोई ऐसा चिन्ह नहीं था, जिससे उसे मस्जिद कहा जा सके. न तो बाबरनामा में और न ही आइने अकबरी में ऐसा कोई विवरण उपलब्ध होता है, जिससे यह सिद्ध हो कि बाबर ने अयोध्या में किसी मस्जिद का निर्माण किया था.

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